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दिल्ली कैबिनेट मीटिंग की CCTV रिकॉर्डिंग अचानक बंद होने से BJP ने केजरीवाल से पूछे सवाल

बीजेपी नेता ने कहा कि 'आप' सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि कैबिनेट मिटिंग की सीसीटीवी रिकार्डिंग क्यों बंद की है ? पूरे प्रकरण से सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता है और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े होते है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
राम किंकर सिंह/देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:09 AM IST

दिल्ली सरकार एक तरफ तो स्कूलों  की कक्षाओं मे सीसीटीवी लगाकर पारदर्शिता की बात कर रही है तो वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछली दो कैबिनेट मीटिंग से सीसीटीवी रिकार्डिंग बंद करवा दी है. ये दावा बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने किया है.  

दिल्ली कैबिनेट की मीटिंग में सीसीटीवी रिकॉर्डिंग अचानक बंद करने पर विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल से 3 सवाल पूछे हैं? उन्होंने कहा है कि वो स्पष्ट करें कि स्कूलों की कक्षाओं में सीसीटीवी लगवाने वाली सरकार ने कैबिनेट की मीटिंग की सीसीटीवी रिकार्डिंग क्यों बंद करवा दी ?

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विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 19 फरवरी की रात अपने घर पर मुख्य सचिव से मारपीट की घटना के पश्चात होने वाली 26 फरवरी 2018 की कैबिनेट मीटिंग मे सीसीटीवी लगवा कर यह घोषणा की थी कि अब दिल्ली कैबिनेट की मिटिंग की सीसीटीवी रिकार्डिंग होगी. लेकिन मात्र 4 महीने में ही अपने निर्णय को सरकार ने बदल दिया.

बीजेपी नेता ने कहा कि 'आप' सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि कैबिनेट मिटिंग की सीसीटीवी रिकार्डिंग क्यों बंद की है ? पूरे प्रकरण से सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता है और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े होते है. बीजेपी नेता ने कहा कि केजरीवाल सरकार वास्तविकता में पटरी से उतर चुकी है.  जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

घटना 19 फरवरी 2018 की है. जब रात करीब 12 बजे मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को केजरीवाल के आवास पर राशन  कार्ड व अन्य मुद्दों पर मीटिंग के लिए बुलाया था. अंशु प्रकाश का आरोप है कि इस दौरान कुछ आप नेता गुस्से में आ गए और उनके साथ हाथापाई की.  उनका आरोप है कि इस पूरी घटना के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वहां मौजूद थे और वह तमाशा देखते रहे. उस दिन के बाद से ही दिल्ली के अफसरों ने सरकार के मंत्रियों से मिलना बंद कर दिया है.

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वह दफ्तर तो आते हैं पर विधायकों या मंत्रियों की बैठक में नहीं पहुंचते.  इसी के चलते केजरीवाल व उनके तीन सहयोगियों मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और गोपाल राय ने 10 दिनों तक एलजी दफ्तर में धरना भी दिया. इस दौरान सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया तो आमरण अनशन पर भी रहे.  जिसके बाद इनकी तबियत खराब होने पर इन दोनों को अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ा. 

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