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दिल्ली आबकारी नीति मामले में PAC के पास भेजी जाएगी CAG रिपोर्ट, बढ़ सकती हैं केजरीवाल-सिसोदिया की मुश्किलें

दिल्ली विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश कर दी है. अब इस रिपोर्ट के आगे की कार्रवाई के लिए पीएसी (पब्लिक अकाउंट्स कमेटी) के पास भेजा जाएगा. पीएसी 25 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट पर विचार करेगी.

अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं (फाइल फोटो) अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं (फाइल फोटो)
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली ,
  • 25 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:34 PM IST

दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़ी कैग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रख दी. अब यह रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए पीएसी (पब्लिक अकाउंट्स कमेटी) के पास भेजी जाएगी. पीएसी इस सीएजी रिपोर्ट पर विचार करेगी और विधानसभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि सीएजी रिपोर्ट पर विचार करने के लिए पीएसी का गठन किया जाएगा, जिसमें 12 सदस्य होंगे. इनमें बीजेपी और आप दोनों ही पार्टी के सदस्य शामिल होंगे.

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PAC विधानसभा अध्यक्ष को सौंपेगी रिपोर्ट

कैग रिपोर्ट में हुए खुलासे के आधार पर पीएसी कथित शराब घोटाले की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी. और जांच के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगी. पीएसी अपनी रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को सौंपेगी. रिपोर्ट के बाद सदन इस बात पर फैसला लेगा कि राजकोष को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है.

साथ ही आबकारी नीति निर्माण और क्रियान्वयन में शामिल लोगों को समन जारी किया जा सकता है, जिसमें पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, जीओएम (आबकारी नीति के लिए मंत्रियों के समूह का हिस्सा रहे पूर्व आप मंत्री), अधिकारी और निजी व्यक्ति शामिल हैं.

क्या है PAC

पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) भारत सरकार के राजस्व और व्यय का ऑडिट करने के उद्देश्य से भारत की संसद द्वारा गठित संसद के चयनित सदस्यों की एक समिति है. राज्यों के विधानसभा में भी पीएसी गठन के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जाती है. किसी विधानसभा द्वारा गठित पीएसी में सदस्यों  के तौर पर पक्ष और विपक्ष के विधायक शामिल होते हैं.

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आपको बता दें कि कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब घोटाले में दिल्ली को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. आबकारी नीति में कई अलग-अलग छूट दी गई थीं, जिसकी वजह से नियमों का उल्लंघन हुआ है और दिल्ली को भारी नुकसान झेलना पड़ा.

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