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दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को फिर मिला एक्टेंशन, MHA ने 3 महीने के लिए बढ़ाया कार्यकाल

अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी, कुमार को पिछले साल अप्रैल में मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह अरुणाचल प्रदेश के सीएस थे. 60 वर्षीय नौकरशाह पिछले साल 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे. तब 6 महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था.

दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार (फाइल फोटो) दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार (फाइल फोटो)
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:24 PM IST

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल अतिरिक्त तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है. उनका कार्यकाल 31 मई 2024 को पूरा हो रहा था, जिसे अगस्त 2024 तक बढ़ाया गया है. इससे पहले भी उनका कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया गया था. इसका आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने विरोध किया था. 

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अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी, कुमार को पिछले साल अप्रैल में मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह अरुणाचल प्रदेश के सीएस थे. 60 वर्षीय नौकरशाह पिछले साल 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे. हालांकि, उनका कार्यकाल केंद्र द्वारा बढ़ा दिया गया था, जिसने तब तर्क दिया था कि उसके पास मुख्य सचिव के कार्यकाल को छह महीने तक बढ़ाने की शक्ति है. आम आदमी पार्टी ने इस विस्तार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में शासन से संबंधित कई मुद्दों पर आप और दिल्ली के मुख्य सचिव दोनों आमने-सामने रहे हैं. पिछले साल नवंबर में, AAP मंत्री आतिशी ने नरेश कुमार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें दावा किया गया था कि नरेश ने दिल्ली सरकार से टेंडर हासिल करने में अपने बेटे को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया. आतिशी ने केजरीवाल को अपनी पूरक रिपोर्ट में सिफारिश की कि मुख्य सचिव को तुरंत उनके पद से हटा दिया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

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हालांकि, रिपोर्ट को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने खारिज कर दिया, जिन्होंने कहा कि रिपोर्ट 'पूर्वाग्रहपूर्ण' और 'गुणहीन' थी. एलजी ने कहा था कि दिल्ली सरकार की रिपोर्ट "पूर्वकल्पित धारणाओं और अनुमानों" पर आधारित है और "चल रही जांच को सुविधाजनक बनाने के बजाय उसमें बाधा उत्पन्न कर सकती है."

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