
मशहूर शायर, रियाज़ ख़ैराबादी ने एक वक्त पर शराब के लिए लिखा,
अच्छी पी ली ख़राब पी ली
जैसी पाई शराब पी ली...
खैराबादी साहब ने ये बात न जाने क्या सोचकर लिखी, लेकिन इस सुखन में जिस अंदाज में शराब का जिक्र हुआ है, उसे पढ़कर आदमी जहनी तौर पर दिल्ली पहुंच जाता है, क्योंकि यही शराब दिल्ली में हो-हल्ला मचाए हुए है. दिल्ली में शराब का घोटाला हो गया और इसके इल्जाम वजीर-ए-आला (मुख्यमंत्री) तक पहुंच गए हैं. यहां शराब ऐसी छलकी है कि सियासत के पांव भी टेढ़े-मेढ़े पड़ रहे हैं और दस्तूर भी देखिए कि जो कभी खुद इस मामले का शिकायती था, वही आज हमदर्द भी बना जा रहा है.
दिल्ली की सियासत में हलचल
बात ऐसी है कि सीएम केजरीवाल शराब मामले में रविवार को सीबीआई पूछताछ का सामना करेंगे. उन्हें 11 बजे CBI के दफ्तर पहुंचना है, जिसके लिए उन्हें शुक्रवार को समन भेजा गया था. समन आने के बाद से बीते एक साल से दिल्ली की सियासत में हलचल मचा रहा है शराब घोटाला मामला और तूल पकड़ गया. सीएम केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के कई नेता इसके बाद से खुले मंच पर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं. कह रहे हैं कि पार्टी को कमजोर करने के लिए, आम आदमी पार्टी की सत्ता हिलाने के लिए बीजेपी के इशारे पर एजेंसियां इस तरह की कार्रवाई कर रही हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने किया था केजरीवाल को फोन
यहां तक तो ठीक था, केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया गया है, ये जानने के बाद कांग्रेस ने भी अपनी हमदर्दी उनके साथ जाहिर की. खबर आई कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीएम केजरीवाल को फोन किया और उनसे बात की. इसे इस तौर पर देखा जा रहा है कि शराब घोटाला मामले में सीएम केजरीवाल को कांग्रेस का साथ मिला है. लेकिन, यहां एक बात साफ कर देना जरूरी है कि जिस शराब घोटाले की जांच आज सीएम केजरीवाल तक पहुंची है, इसे मुद्दे को उछालकर उभारने वाली भी खुद कांग्रेस ही है. कांग्रेस ही वह पहली पार्टी ने जिसने एलजी से दिल्ली में लागू हुई नई आबकारी नीति की आलोचना की थी और इसमें घोटाले की शिकायत भी की थी.
ऐसे उठा था शराब घोटाला मुद्दा
ये कहानी शुरू होती है, 3 जून 2022 से. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी की अगुआई में एक प्रतिनिधि मंडल पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना से मिला था और भ्रष्टाचार की शिकायत सबसे पहले दी थी. इसी शिकायत के आधार पर, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एक्साइज डिपार्टमेंट से तीन दिन में जवाब मांगा था. इस शिकायत को लेकर अनिल चौधरी ने ट्वीट भी किया था. उन्होंने लिखा था.
'आज दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि मंडल ने आम आदमी पार्टी सरकार के द्वारा फ़र्ज़ी कंपनी को नई शराब नीति के तहत लाइसेंस दिया जिसमें सैंकड़ों करोड़ का घोटाला है, उसकी जांच के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को शिकायत की.'
2021 में लॉन्च हुई थी नई शराब नीति
17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए जबरदस्त डिस्काउंट दिए गए. शराब की जमकर बिक्री हुई. सरकारी खजाना भी बढ़ा, लेकिन इसका विरोध होने लगा. इस पूरे मामले में विरोध होने के बाद बीजेपी भी आगे आई, और केजरीवाल सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर कर विरोध-प्रदर्शन करने लगी. यहां तक कि कई निगम पार्षद और प्रदेश अध्यक्ष ने शराब की दुकानों में बिल्डिंग बायलॉज चेंज करने आरोप लगाते हुए कई शराब की दुकान सील भी की.
कांग्रेस-केजरीवाल और कन्फ्यूजन
यानी कि आप सरकार और सीएम केजरीवाल, जिस शराब मामले में घिरने के बाद बीजेपी पर हमलावर हैं और कांग्रेस पर चुप हैं, वह चक्रव्यूह ही कांग्रेस का खड़ा किया हुआ, जिसमें आप सरकार के शीर्ष नेता एक के बाद एक घिर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कन्फ्यूजन वाला ये रिश्ता कोई नया नहीं है, बल्कि आम आदमी पार्टी की स्थापना से लेकर और सरकार बनने तक के सफर में कांग्रेस और आप में कभी विरोध-कभी समर्थन चलता रहा है.
राहुल गांधी मामले में सीएम ने की थी केंद्र सरकार की आलोचना
अभी जब कुछ दिन पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता गई थी, तब सीएम केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला था और अन्य विपक्षी दलों की ही तरह इसे अलोकतांत्रिक बताया था, लेकिन दूसरी ओर शराब मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के लिए प्रदेश कांग्रेस ने जमकर मोर्चा खोला था. कांग्रेस नेता अनिल चौधरी ने इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी. इस मामले में सियासत के जानकार भी कहते हैं कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सेंट्रल लीडरशिप स्तर पर एक तरहा का मौन समर्थन जरूर है. इसके आधार के लिए वह कहते हैं कि जब करप्शन के मुद्दे पर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई तो प्रदेश कांग्रेस ने खुलकर इसे सही ठहराया, लेकिन कांग्रेस की सेंट्रल लीडरशिप ने चुप्पी साधे रही थी.
कांग्रेस के विरोध से ही सत्ता में हुई 'आप' की एंट्री
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के समर्थन-विरोध को और गहराई से देखें तो यह शुरू से ही नजर आ जाएगा. आम आदमी पार्टी अन्ना आंदोलन के बीच से निकला राजनीतिक दल है. जिस साल में अन्ना आंदोलन हो रहा था, कांग्रेस तब सरकार में थी और भ्रष्टाचार के कई आरोपों से घिरी भी थी. अन्ना आंदोलन इसी भ्रष्टाचार के खिलाफ था यानी सीधे तौर पर उसके निशाने पर कांग्रेस ही थी, लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल ने पार्टी बना ली, दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और 28 सीटें जीतीं, लेकिन बहुमत नहीं मिला तो केजरीवाल उसी कांग्रेस के साथ चले गए, जिसका विरोध करते हुए उन्होंने राजनीति में एंट्री ली थी.
शराब घोटाला मामले को कांग्रेस ने भी भुनाया
अब इसे ऐसे भी देखें कि, अरविंद केजरीवाल जब अन्ना आंदोलन से राजनीतिक पार्टी बना रहे थे, तब उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस पर खूब निशाना साधा था. इसके बाद जब अरविंद केजरीवाल की पार्टी के नेता भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद हुए तो कांग्रेस ने इसे मौके की तरह लिया और शराब नीति के मुद्दे पर न सिर्फ अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार पर निशाना साधा, बल्कि पंजाब में भी शराब नीति में जांच की मांग कर डाली. जब सिसोदिया गिरफ्तार हुए तो कांग्रेस ने आप के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया था और सिसोदिया के इस्तीफे की मांग भी की थी.
उधर, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा था कि कांग्रेस शराब घोटालों की उचित जांच चाहती है. उन्होंने आम आदमी पार्टी पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि 'हम आप से पूछना चाहते हैं कि वे चुप क्यों थे, जब एजेंसियों ने हमें परेशान किया तो उनका क्या रुख था. सुप्रिया श्रीनेत का इशारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई की ओर था, जब इस मामले में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया था.
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क्या है इस विरोध-समर्थन का राज?
इसके बाद, जब राहुल गांधी पर मोदी सरनेम मामले में कार्रवाई हुई और उनकी सदस्यता गई, तब सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में उनका समर्थन करते हुए, केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. इसके बाद अब जब सीबीआई की जांच सीएम केजरीवाल तक पहुंच रही है तो कांग्रेस, जिसने खुद ये मुद्दा उठाया था अब इस मुद्दे से किनारा कर लिया है. विरोध का झंडा भाजपा के हाथ में है और कांग्रेस समर्थन का हाथ बढ़ा रही है. इस विरोध-समर्थन के रिश्ते में क्या 2024 का कोई सीक्रेट प्लान है, इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी.