
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महंगी बिजली के मुद्दे पर सियासत तेज है. दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने हाल ही में बिजली के बड़े दामों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने का समय मांगा है. उन्होंने सीएम से मुलाकात के लिए रविवार या सोमवार का समय मांगा है.
कांग्रेस का आरोप है कि महंगाई की दोहरी मार दिल्ली की जनता पर पड़ रही है. दिल्ली के मुद्दों पर कांग्रेस का केजरीवाल से समय मांगना इसलिए भी महत्पूर्ण माना जा रहा है क्योंकि आम आदमी पार्टी अध्यादेश पर कांग्रेस से समर्थन मांग रही है.
अध्यादेश पर समर्थन जुटाने में लगी AAP
बताते चलें कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार इन दिनों अन्य विपक्षी दलों से मुलाकात कर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर समर्थन जुटाने की कोशिश में है. केजरीवाल चाहते हैं कि सभी गैर भाजपा दल उन्हें समर्थन देंगे तो वे राज्यसभा में इस अध्यादेश को गिरा पाएंगे. लेकिन कांग्रेस उनकी इस शर्त पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर रही है.
जहां एक ओर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की मुलाकातों की चर्चा हो रही है तो वहीं मध्य प्रदेश में पंजाब के सीएम और AAP नेता भगवंत मान ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. अध्यादेश के खिलाफ समर्थन की मांग के बीच भगवंत मान ने कांग्रेस को बिकाऊ बताया है. भगवंत मान ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, 'कांग्रेस के मुख्यालय पर यह लिखा रहता है कि यहां पर जनता द्वारा चुने विधायक सस्ते रेट पर मिलते हैं'.
'कांग्रेस के MLA के रेट...'
सीएम मान ने कहा, '5 साल पहले मध्य प्रदेश में लोगों ने कांग्रेस की सरकार बना दी. भाजपा का सीधा आइडिया है कि अगर चुनाव से नहीं जीते तो बाय-इलेक्शन से जीतेंगे. भाजपा वालों ने कांग्रेस से बात की और पूछा कि एक एमएलए का क्या रेट रखा है. कांग्रेस के मुख्यालय पर यह लिखा रहता है कि यहां पर जनता द्वारा चुने विधायक सस्ते रेट पर मिलते हैं. भाजपा ने 30 विधायक खरीद लिए. क्या कांग्रेस के विधायक ने बीजेपी में जाने से पहले आप लोगों से पूछा? तो ऐसी पार्टी को वोट देने का क्या फायदा हुआ जो आप लोगों का वोट बेच देती है. लोगों ने वोट डाला कांग्रेस को लेकिन सरकार भाजपा की बन गई. इसलिए अरविंद केजरीवाल कहते हैं सब मिले हुए हैं. यह सब दाल चावल(कांग्रेस और भाजपा) हैं.'
महंगी बिजली को लेकर मुलाकात करना चाहती है कांग्रेस
वहीं कांग्रेस इस वक्त महंगी बिजली के मुद्दे को लेकर केजरीवाल से मिलना चाहती है. गौरतलब है कि दिल्ली में 10 फीसदी दाम बढ़ गए हैं. इसे लेकर राज्य में सियासत भी भरपूर हो रही है. दिल्लीवासियों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने का वादा करने वाली आम आदमी पार्टी अब विपक्ष के निशाने पर है.
बिजली महंगी होने पर सियासत जारी
दिल्ली में बिजली की बढ़ी हुई दरों को लेकर ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा था कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने एक आदेश जारी कर राजधानी में बिजली कंपनी का पावर परचेस एग्रीमेंट कॉस्ट (पीपीएसी) बढ़ाया है. दिल्लीवालों को पता होना चाहिए कि पीपीएसी क्या होता है और उनके बिल पर इसका क्या असर पड़ेगा.
उन्होंने बताया कि बिजली के दाम साल में एक बार तय होते हैं. लेकिन कोयले के दाम में उतार-चढ़ाव के हिसाब से पीपीएसी घटता या बढ़ता रहता है. दिल्ली में बिजली बिल बढ़ने के पीछे केंद्र सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि बिजली खरीदने वाली कंपनियां पांच प्लांट से बिजली खरीदती है. केंद्र सरकार 15 से 50 फीसदी से अधिक कीमत पर कंपनियों को बिजली बेच रही है.
आतिशी के मुताबिक केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि कभी कोयले की कमी नहीं हुई. कोयले के खदान कम नहीं हुए तो कोयला महंगा क्यों हुआ? कोयले का प्रोडक्शन कम क्यों? 25 हजार रुपये प्रतिटन वाले इम्पोर्टेड कोयले का दाम, जो डेमोस्टिक कोयले से 10 फीसदी महंगा है.
बीजेपी का दिल्ली सरकार पर पलटवार
दिल्ली में बिजली महंगी होने के मुद्दे पर बीजेपी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा था कि पावर परचेज एग्रीमेंट के नाम पर टैरिफ बढ़ाया गया. आज दिल्ली में टैरिफ 22 फीसदी से बढ़कर 29 फीसदी हो गया है. केजरीवाल ने पहले कहा था कि सर्दियों में बिजली सस्ती और गर्मियों में महंगी हो जाती है. मैं केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि जून 2022 में बिजली 19 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी क्यों हो गई. सर्दियों में बिजली के दाम क्यों नहीं घटे. मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों को बेवकूफ बनाया है. आपने इस साल भी बिजली के दाम बढ़ा दिए. इससे राशि बढ़कर 4000 करोड़ हो गई.
दाम कम नहीं किए तो प्रदर्शन करेगी BJP
अगर सरकार ने बिजली की बढ़ी हुई कीमतों को वापस नहीं लिया तो हम सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा बीजेपी सांसद रमेश बिधुड़ी ने भी इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि केजरीवाल दोहरी बातें करते हैं. पहले वह कहते थे कि हम बिजली की कीमतें नहीं बढ़ने दूंगा. बीते नौ सालों में बिजली का ऑडिट क्यों नहीं हुआ. सोलर सिस्टम स्कीम कहां है. बिजली के कुल 65 लाख कनेक्शन में से 83 फीसदी घरेलू हैं. केजरीवाल सरकार ने लाखों रुपये के बिजली के बिल गलत तरीके से माफ किए. वह यूएपीए सरकार के नक्शेकदम पर आगे बढ़ रहे हैं.