Advertisement

रेप के बाद पीड़िता का ‘कुछ मत सोचना’ जैसा मैसेज भेजना असंभव... कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए बलात्कार के एक मामले में आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि व्हाट्सएप चैट ने अभियोजक के आरोपी द्वारा जबरन यौन संबंध के बयान को पूरी तरह से खारिज कर दिया.

सांकेतिक फोटो सांकेतिक फोटो
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:40 PM IST

दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को एक रेप के आरोपी व्यक्ति को व्हाट्सएप चैट्स के आधार पर बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि महिला और आरोपी पुरुष के बीच व्हाट्सएप मैसेजों के आदान-प्रदान घटना के बाद और पहले अभियोजन पक्ष के दावों का खंडन करता है.  

दिल्ली की अदालत ने मामले में आरोपी को बरी करते हुए कहा, "व्हाट्सएप चैट ने अभियोजक के आरोपी द्वारा जबरन यौन संबंध के बयान को पूरी तरह से खारिज कर दिया."

Advertisement

घटना के बाद किया ये मैसेज

अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आरोपी और महिला के बीच व्हाट्सएप चैट बहुत व्यक्तिगत और अंतरंग थी. और "महिला द्वारा लगाए गए मौखिक आरोपों के बिल्कुल अलग है. अदालत के अनुसार, घटना के तुरंत बाद महिला द्वारा भेजा गया संदेश 'कुछ मत सोचना' था.

अदालत ने कहा, "जबरन यौन संबंध की घटना के तुरंत बाद इस तरह की व्हाट्सएप चैट बेहद असंभव है और यह जबरन यौन संबंध के अभियोजन पक्ष के मामले को पूरी तरह से खारिज कर देती है."

'सार्वजनिक स्थान पर कार के अंदर रेप असंभव'

महिला द्वारा आरोपी व्यक्ति पर लगाए आरोपों का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्थान पर किसी को भी पता चले बिना कार के अंदर रेप करना असंभव लगता है. महिला ने आरोप लगाया कि दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट के आसपास सड़क किनारे खड़ी एक कार में आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया.

Advertisement

अदालत ने आरोपी और महिला के संबंध में टिप्पणी की कि "चैट से पता चला है  आरोपी और अभियोजक बहुत दोस्ताना रिश्ते में थे. उनके बीच अंतरंग और व्यक्तिगत चैट थीं. घटना के तुरंत बाद की चैट पूरी तरह से यौन संबंध के आरोप के दावे को खारिज करती हैं. आरोपी ने लड़की से पहले ही शादी करने से इनकार कर दिया था. यहां तक कि आरोपी का परिवार उसके लिए एक उपयुक्त रिश्ते खोज रहा था.

आरोपी को बरी करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि महिला ने कथित घटना के लगभग पांच महीने बाद प्राथमिकी दर्ज की.

अदालत ने महिला के इस बयान को भी खारिज कर दिया, जिसमें महिला ने कहा था कि उसने कथित घटना के बारे में शिकायत नहीं की. क्योंकि आरोपी द्वारा उसे शादी का झांसा देकर कथित घटना को दबाने के लिए समझा रहा था.

'पढ़ी-लिखी और परिपक्व है महिला'

अदालत ने कहा, "वह बहुत पढ़ी-लिखी और परिपक्व महिला है और ये चौंकाने वाला है कि उसने आरोपी के खिलाफ शिकायत करने के बजाय उससे शादी करने का फैसला किया."

आरोपी के खिलाफ आरोप है कि उसने अपनी कार में महिला के साथ बलात्कार किया और फिर उसे शादी का वादा करके मामले की रिपोर्ट न करने के लिए मनाया.

Advertisement

शादी के लिए कराई FIR: अधिवक्ता

कार्यवाही के दौरान, आरोपी की ओर से पेश वकील शशांक दीवान ने तर्क दिया कि आरोपी और महिला शादी के किसी वादे के बिना आपसी सहमति से यौन संबंध में थे और महिला ने आरोपी पर उससे शादी करने का दबाव बनाने के लिए एफआईआर दर्ज कराई थी.

अभियोजन पक्ष के सबूतों के आधार पर अदालत ने ये कहा कि महिला द्वारा अपने बयानों में लगाए गए मौखिक आरोप उसके और आरोपी के बीच व्हाट्सएप चैट के रूप में पुख्ता वैज्ञानिक सबूतों की रोशनी का सामना नहीं कर सकते.

अदालत ने कहा कि किसी आरोप पर विचार के चरण में ट्रायल कोर्ट के पास यह पता लगाने के सीमित उद्देश्य के लिए अभियोजन साक्ष्य को स्थानांतरित करने और तौलने का अधिकार है कि क्या आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला खत्म हो गया है या नहीं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement