
दिल्ली की एक अदालत ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए एक व्यक्ति को 20 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर की अदालत ने 31 वर्षीय दोषी के खिलाफ सजा पर बहस सुनी. उस पर दुष्कर्म और अपहरण के अलावा पॉक्सो एक्ट की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप तय किए गए थे.
किडनैप कर घर ले गया
अतिरिक्त लोक अभियोजक योगिता कौशिक दहिया ने बताया कि दोषी ने नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसे अपने घर ले जाकर जुलाई 2020 में कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया. उन्होंने अदालत से कहा कि इस घृणित अपराध के लिए दोषी को कोई रियायत नहीं मिलनी चाहिए.
अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'अपराध की गंभीरता, पीड़िता और दोषी की उम्र, उनके पारिवारिक और सामाजिक-आर्थिक हालात को ध्यान में रखते हुए, दोषी को 20 साल की कठोर कैद की सजा दी जाती है.'
10.5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा
इसके अलावा, अदालत ने यह भी माना कि पीड़िता ने इस अपराध के कारण काफी मानसिक और शारीरिक कष्ट झेला है. उसे बेहतर जीवनयापन के लिए 10.5 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे.
POCSO Act (पॉक्सो एक्ट) क्या है?
POCSO का पूरा नाम 'Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012' (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012) है. यह भारत में बच्चों (18 साल से कम उम्र के) को यौन अपराधों से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया कानून है.
क्या है इस कानून की मुख्य बातें
यह कानून यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, बाल यौन शोषण सामग्री (Child Pornography) और अन्य यौन अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है.
बाल मित्र न्याय प्रणाली: इसमें बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान हैं, जैसे कि कैमरा के बिना गवाही, पहचान छिपाना, और जल्द सुनवाई.
सजा का प्रावधान:
यौन उत्पीड़न: 3 से 5 साल की सजा
गंभीर यौन उत्पीड़न: 5 से 7 साल की सजा
गंभीर दुष्कर्म (Aggravated Penetrative Sexual Assault): कम से कम 20 साल की सजा या आजीवन कारावास
बिना सहमति पर मामला दर्ज: अगर किसी नाबालिग के साथ कोई यौन अपराध होता है, तो उसकी सहमति का कोई मतलब नहीं होता.
POCSO में हाल के बदलाव:
2019 में इसमें बदलाव किया गया, जिससे नाबालिग से दुष्कर्म पर मृत्युदंड (Death Penalty) का भी प्रावधान जोड़ा गया.
POCSO का उद्देश्य:
बच्चों को यौन हिंसा से बचाना, दोषियों को सजा दिलाना, और पीड़ितों को न्याय देना.