
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित हाथापाई मामले में 18 मई को पुलिस द्वारा दर्ज किए गए उनके बयान की प्रति और वीडियो की प्रति मांगी थी. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस की उस टिप्पणी का जिक्र किया कि ऐसे किसी भी बयान को उपलब्ध कराना उसकी जांच के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बयान की प्रति देने के लिए बाध्य नहीं है, जिसका बयान उसने दर्ज किया है. यह खासतौर पर तब लागू होती है, जबकि यह स्पष्ट नहीं हो कि उस व्यक्ति को आरोपी बनाया जाएगा अथवा गवाह. साथ ही जांच एजेंसी का मानना है कि ऐसे किसी भी बयान को किसी को भी सौंपना उसकी जांच के लिए नुकसानदायक होगा.
अरविंद केजरीवाल ने अपनी अर्जी में कहा है कि उस दिन कार्यवाही के बाद पुलिस ने मीडिया से कहा था कि वह ठीक ठीक जवाब नहीं दे कर कुछ प्रश्नों को टाल गए थे, जो कि पूरी तरह से गलत है. अर्जी में कहा गया, 'मीडिया के सामने पुलिस का आचरण यह संकेत देता है कि उन्हें अथवा आम आदमी पार्टी के किसी भी सदस्य पर आरोप लगाने के लिए पुलिस बयान/सीडी में छेड़छाड़ करके किसी भी हद तक जा सकती है. इसमें कहा गया है कि केजरीवान बयान और सीडी की प्रति पाने के हकदार हैं.
दिल्ली पुलिस ने अंशु प्रकाश के साथ कथित मारपीट के मामले में 18 मई को केजरीवाल से कम से कम तीन घंटे तक पूछताछ की थी. बता दें कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश 19 फरवरी की देर रात एक बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर गए थे.
आरोप है कि केजरीवाल के सामने AAP विधायकों ने उनके साथ मारपीट की थी. मेडिकल रिपोर्ट में भी मुख्य सचिव से मारपीट की पुष्टि हुई थी. यह मामला PMO तक पहुंचा था. IAS एसोसिएशन ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई थी.