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जीत के हैट्रिक से मजबूत हुआ ब्रांड अरविंद केजरीवाल, विपक्षी मंच पर बढ़ेगा कद

दिल्ली की सत्ता की हैट्रिक लगाने के बाद अरविंद केजरीवाल का सियासी कद बढना स्वाभाविक है. केजरीवाल ने जिन परिस्थितियों में दिल्ली की जंग को फतह किया है, इससे केजरीवाल का विपक्षी दलों के मंच पर कद बढ़ने की संभावना है. ऐसे में देखना होगा कि केजरीवाल दिल्ली तक ही सीमित रहते हैं या फिर देश में सियासी उड़ान भरेंगे.

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (फोटो-PTI) आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (फोटो-PTI)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST

  • केजरीवाल दिल्ली की सत्ता पर तीसरी बार काबिज
  • अन्ना आंदोलन से निकले केजरीवाल मिस्टर क्लीन

अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल को सियासत में आए महज एक से डेढ़ साल ही हुए थे और दिल्ली की सल्तनत पर वो दूसरी बार काबिज थे. बिहार में महागठबंधन का शपथ ग्रहण समारोह था और केजरीवाल मेहमान के तौर पर पहुंचे थे तो आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उनका स्वागत किया और हाथ पकड़कर मंच पर ले गए थे. मिस्टर क्लीन की छवि लेकर सियासत में आए केजरीवाल के साथ नजर आने वाले नेताओं को भी ईमानदार की श्रेणी में माना जाता था.

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केजरीवाल ने विपक्षी दलों के नेताओं को नहीं दिया न्योता

दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए केजरीवाल विपक्षी दलों के कई मंचों पर जाते रहे, लेकिन इस बार जिस तरह से विपरीत परिस्थियों में जीत की हैट्रिक लगाई है और मोदी-शाह की जोड़ी को मात दिया है. इससे ब्रांड अरविंद केजरीवाल को और भी मजबूती मिलेगी व उनका सियासी कद विपक्षी मंच पर और भी बढ़ने की संभावना है. हालांकि केजरीवाल ने विपक्षी दलों के नेताओं को अपने शपथ ग्रहण समारोह में न्योता नहीं दिया है.

दूसरी बार नजर आया केजरीवाल का करिश्मा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की भगवा फौज का जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने सामना किया और प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी की है. इतना ही नहीं बीजेपी को दहाई का अंक पार करने नहीं दिया और महज 8 सीटों पर रोक दिया. मोदी-शाह की जोड़ी के सामने केजरीवाल ने यह करिश्मा दूसरी बार दोहराया है. पहली बार 2015 में AAP को 67 और बीजेपी को 3 तो दूसरी बार 2020 में आम आदमी पार्टी को 62 और बीजेपी को 8 सीटें मिली हैं.

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केजरीवाल ने ऐसे समय में दिल्ली की सत्ता के सिंहासन पर बीजेपी को काबिज नहीं होने दिया, जब 8 महीने पहले दिल्ली की सभी सातों सीटों पर AAP तीसरे नंबर पर रही और बीजेपी पहले नंबर रही. केजरीवाल ने बीजेपी की आठ महीने पहले मिली जीत को विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से धूमिल कर दिया है.

यह भी पढ़ें: क्यों जनता की नब्ज नहीं पकड़ पाई बीजेपी, ये हैं हार के कारण

वो भी तब जब दिल्ली में बीजेपी ने हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए शाहीन बाग से लेकर पाकिस्तान, आतंकवाद सहित तमाम मुद्दे उछाले, लेकिन केजरीवाल की रणनीति के आगे एक भी काम नहीं आ सके. ऐसे में लोकसभा चुनाव में हार से हताश विपक्ष को बीजेपी को मात देने का फॉर्मूला मिल गया है. वहीं, बीजेपी के इस एजेंडे का सामना उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव 2017 में नहीं कर सके थे और उन्हें सूबे की सत्ता गंवानी पड़ गई थी.

विपक्षी नेताओं ने दी केजरीवाल को मुबारकबाद

इसी का नतीजा है कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत पर विपक्ष के तमाम नेताओं ने अरविंद केजरीवाल को मुबारकबाद दी. इनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, राहुल गांधी, कमलनाथ, एमके स्टालिन, तेजस्वी यादव, नवीन पटनायक जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं. इससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों का एक बड़ा चेहरा बन सकते हैं.

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बता दें कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बनने के बाद से विपक्षी दलों के मंच पर जाते रहे हैं, चाहे किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस का प्रदर्शन रहा हो, कर्नाटक में जेडीएस के कुमारस्वामी की ताजपोशी का कार्यक्रम हो या ममता बनर्जी का मोदी के खिलाफ विपक्ष दलों की रैली. इन सारी जगह केजरीवाल नजर आए थे और अब जब तीसरी बार बीजेपी के मात देने में कामयाब रहे हैं तो स्वाभाविक है कि उनका सियासी कद बढ़ेगा और विपक्ष दलों के मंच पर भी नजर आएंगे.

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