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'झाड़ू' के साथ होता 'हाथ' तो कुछ और होती बात? दिल्ली की वो सीटें... जहां AAP को बीजेपी ने नहीं, Congress ने हराया!

दिल्ली के नतीजे आने के बाद बड़ा सवाल जरूर उठ खड़ा हुआ है. वो है कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) को और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए था? और अगर 'हाथ' का साथ होता तो दिल्ली में झाड़ू कितनी चलती? दिल्ली की 14 ऐसी सीटें हैं, जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की हार सिर्फ कांग्रेस के वोट काटने के चलते हुई.

दिल्ली में AAP और कांग्रेस का गठबंधन न होने से बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ दिल्ली में AAP और कांग्रेस का गठबंधन न होने से बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ
राहुल चौहान
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इस बार की चुनावी जंग ने राष्ट्रीय राजधानी की सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल दी है. आम आदमी पार्टी (AAP), जो लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का सपना देख रही थी, उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया. दूसरी ओर, कांग्रेस एक बार फिर शून्य पर सिमट गई, जिससे यह साफ हो गया कि दिल्ली में उसका पुनरुद्धार अब भी दूर की कौड़ी है. अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता में गिरावट, कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने से वोटों का बंटवारा और बीजेपी की आक्रामक चुनावी रणनीति ने AAP की हार की पटकथा लिख दी. 

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दिल्ली के नतीजे आने के बाद एक बड़ा सवाल जरूर उठ खड़ा हुआ है. वो है कि क्या आम आदमी पार्टी (AAP) को और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए था? अगर हाथ का साथ मिलता तो दिल्ली में झाड़ू कितनी चलती और क्या दोनों के साथ चुनाव लड़ने से मौजूदा चुनावी समीकरण बदल सकते थे? दरअसल, लोकसभा में बीजेपी को हराने के लिए तमाम विपक्षी दलों ने महागठबंधन INDIA का गठन किया. इसमें कांग्रेस और AAP भी शामिल रहे. लेकिन विधानसभा चुनाव आते-आते दोनों ही दल अलग-अलग मैदान में उतर गए. पहले हरियाणा तो अब दिल्ली में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ. नतीजन दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार बन गई. हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट काटे तो अब दिल्ली में इसका उलट देखने को मिला है. 

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कांग्रेस के चलते केजरीवाल, सिसोदिया जैसे AAP के बड़े चेहरों की हार

इस चुनाव में भाजपा को जबरदस्त फायदा हुआ, जबकि AAP को कई सीटों पर कुछ हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस का प्रदर्शन भले ही कमजोर ही रहा, लेकिन कई सीटों पर उसके वोट AAP के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते थे. खुद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भाजपा के प्रवेश वर्मा से महज 4,089 वोटों के अंतर से हार गए. इसी तरह मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे AAP के बड़े नेता बहुत कम अंतर से सीट हार गए. और इन सीटों पर इस अंतर से अधिक वोट कांग्रेस उम्मीदवारों के पाले में गए. यानी साफ है कि कांग्रेस से गठबंधन न होना AAP के लिए बड़ा नुकसान साबित हुआ है.

14 सीट पर कांग्रेस के वोट काटने से हारे AAP उम्मीदवार

AAP ने 70 में से 22 सीटें जीतीं, लेकिन इनमें से कई पर उसका वोट शेयर घटा. कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती, लेकिन कई सीटों पर 5-15% तक वोट हासिल किए. भाजपा ने कई ऐसी सीटें जीतीं, जहां AAP और कांग्रेस के वोट बंटने से उसे फायदा हुआ. अगर AAP और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो भाजपा के सामने कड़ी चुनौती हो सकती थी. कारण, दिल्ली की 14 ऐसी सीटें हैं, जहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की हार सिर्फ कांग्रेस के वोट काटने के चलते हुई. यानी इन सीटों पर बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाया है.

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'झाड़ू' के साथ 'हाथ' होता तो इन सीटों पर स्थिति अलग हो सकती थी

नई दिल्ली: राजधानी की सबसे हॉट सीट रही नई दिल्ली के नतीजे भी चौंकाने वाले रहे. यहां से परवेश साहिब सिंह (BJP) ने 30,088 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद 4089 वोटों से हार गए. केजरीवाल को 25,999 वोट मिले.वहीं कांग्रेस के संदीप दीक्षित 4,568 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

ग्रेटर कैलाश: तीन बार के विधायक सौरभ भारद्वाज को हार का सामना करना पड़ा. उन्हें बीजेपी की शिखा रॉय ने 3188 वोटों के अंकर से हराया. बीजेपी कैंडिडेट को 49594 वोट मिले. AAP के सौरभ भारद्वाज को 46406 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी गर्वित सिंघवी 6711 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे.

जंगपुरा: बीजेपी उम्मीदवार तरविंदर सिंह मारवाह ने 38,859 वोट हासिल कर जीत दर्ज की. आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी मनीष सिसोदिया कड़े मुकाबले में 38,184 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे. सिसोदिया महज 675 वोटों से हार गए. वहीं, कांग्रेस (INC) के उम्मीदवार फरहद सूरी को 7,350 वोट मिले. 

राजेंद्र नगर: बीजेपी उम्मीदवार उमंग बजाज ने 46,671 वोट के साथ जीत दर्ज की. वहीं आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक महज 1231 वोटों के अंतर से हार गए. उन्हें 45,440 वोट मिले, जबकि इस सीट पर कांग्रेस के विनीत यादव 4,015 को वोट मिले.

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मादीपुर: बीजेपी के कैलाश गंगवाल ने 52,019 वोट के साथ जीत हासिल की. आम आदमी पार्टी (AAP) की राखी बिड़ला 41,120 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि कांग्रेस (INC) के जय प्रकाश पंवार को 17,958 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. BJP ने AAP को 10,899 वोटों के अंतर से हराया.

मालवीय नगर: सतीश उपाध्याय (BJP) ने 39,564 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की. आम आदमी पार्टी (AAP) के सोमनाथ भारती 37,433 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. सतीश उपाध्याय ने सोमनाथ भारती को 2,131 वोटों के करीबी अंतर से हराया. इस सीट पर कांग्रेस के जीतेन्द्र कुमार कोचर 6,770 वोट मिले.

बादली सीट: बीजेपी के उम्मीदवार अहीर दीपक चौधरी को 61,192 वोट मिले. AAP उम्मीदवार अजेश यादव को 46,029 वोट मिले. बीजेपी और AAP उम्मीदवार में जीत का अंतर 15 हजार वोट के करीब है. जबकि यहां से कांग्रेस के देवेंद्र यादव को 41,071 वोट मिले. 

छतरपुर: बीजेपी उम्मीदवार करतार सिंह तंवर    को 80,469 वोट मिले. AAP के ब्रह्म सिंह तंवर    को 74,230 वोट मिले. दोनों में जीत का अंतर 6239 वोटों का रहा. यहां कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र सिंह तंवर को 6,601 वोट मिले.

कस्तूरबा नगर: बीजेपी के नीरज बसोया को 38,067 वोट मिले. कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक दत्त 27,019 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) के रमेश पहलवान को 18,617 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. यहां बीजेपी 11,048 वोटों के अंतर से जीती.

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महरौली: इस सीट पर बीजेपी के गजेन्द्र सिंह यादव ने 48,349 वोटों के साथ जीत दर्ज की. आम आदमी पार्टी के महेंद्र चौधरी 46,567 वोट मिले. दोनों में जीत का अंतर महज 1782 वोट रहा. जबकि यहां कांग्रेस उम्मीदवार पुष्पा सिंह को 9338 वोट मिले.

नांगलोई जाट: मनोज कुमार शौकीन (BJP) ने 75,272 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की. आम आदमी पार्टी (AAP) के रघुविंदर शौकीन 49,021 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. दोनों में 26,251 वोटों के अंतर रहा. जबकि यहां से कांग्रेस (INC) के रोहित चौधरी को 32,028 वोट मिले.

संगम विहार: चंदन कुमार चौधरी (BJP) ने 54,049 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की. आम आदमी पार्टी (AAP) के दिनेश मोहनिया 53,705 को वोट मिले और वह 344 वोटों के मामूली अंतर से हार गए. कांग्रेस (INC) के हर्ष चौधरी को यहां से 15,863 वोट मिले.

तिमारपुर: बीजेपी के सूर्य प्रकाश खत्री को 55,941 वोट मिले और उन्होंने जीत दर्ज की. वहीं AAP के सुरिंदर पाल सिंह (बिट्टू) 1168 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए. उन्हें 54,773 वोट मिले, जबकि कांग्रेस (INC) के लोकेंद्र कल्याण सिंह को 8,361 वोट मिले.

त्रिलोकपुरी: चुनाव में रवि कांत (BJP) ने 58,217 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की. आम आदमी पार्टी (AAP) की अंजना परचा 57,825 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि कांग्रेस (INC) के अमरदीप 6,147 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे. रवि कांत ने अंजना परचा को 392 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया. 

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AAP के पारंपरिक वोट बैंक पर भी लगी सेंध

इस चुनाव में AAP को सबसे ज्यादा नुकसान दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर हुआ, क्योंकि इन इलाकों में कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक भी मौजूद था. AAP को दिल्ली की 12 अनुसूचित जाति (SC) आरक्षित सीटों में से 4 पर हार का सामना करना पड़ा. इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने AAP के वोट बैंक में सेंध लगा दी. इसके साथ ही मुस्लिम बहुल सीटों पर भी AAP को झटका लगा है. कारण, दिल्ली की 7 मुस्लिम बहुल सीटों में से भले ही AAP ने 6 सीटें जीती हों, लेकिन उसका वोट शेयर गिरा है. इतना ही नहीं, पार्टियों में आपसी फूट के चलते बीजेपी के हिंदू उम्मीदवार ने मुस्लिम बहुल सीट मुस्तफाबाद में बड़े अंतर से चुनाव जीता है.

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