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केजरीवाल सरकार ने लॉन्च की 'एंटी स्मॉग गन', दिल्ली को प्रदूषण से दिलाएगी राहत

'एंटी स्मॉग गन' हवा में खास तौर से धूलकण की मात्रा को कम करने में कारगर माना जा रहा है. ट्रायल के लिए तैयार किए गए इस कान्सेप्ट गन में एक लंबे ट्रक पर 5000 लीटर क्षमता का वॉटर टैंक, एक जैनरेटर और स्मॉग गन लगाया है. एंटी स्मॉग गन सड़क के दोनों तरफ 50 मीटर तक असरदार होगी.

एंटी स्मॉग गन एंटी स्मॉग गन
अजीत तिवारी/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए केजरीवाल सरकार ने 'एंटी स्मॉग गयं' का ट्रायल रन सोमवार को शुरू किया है. दिल्ली सचिवालय में पर्यावरण मंत्री ने अधिकारियों की मौजूदगी में 'एन्टी स्मॉग गन' को हरी झंडी दिखाई. सरकार का दावा है कि इस तकनीक के जरिये हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 के बढ़ते स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है.

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'एंटी स्मॉग गन' हवा में खास तौर से धूलकण की मात्रा को कम करने में कारगर माना जा रहा है. ट्रायल के लिए तैयार किए गए इस कान्सेप्ट गन में एक लंबे ट्रक पर 5000 लीटर क्षमता का वॉटर टैंक, एक जैनरेटर और स्मॉग गन लगाया है. एंटी स्मॉग गन सड़क के दोनों तरफ 50 मीटर तक असरदार होगी. साथ ही एक बार पानी का टैंक भरने के बाद 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अगर एंटी स्मॉग गन को चलाया जाएगा तो ये 40 किलोमीटर तक छिड़काव करेगी.

पर्यावरण मंत्री ईमरान हुसैन ने 'आजतक' से खास बातचीत करते हुए बताया कि शुरुवात में एंटी स्मॉग गन उन सड़कों पर जाएगी जहां प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है. उसके बाद उन सड़कों का प्रदूषण स्तर जांचा जाएगा जहां-जहां एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल हुआ.

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मंत्री ईमरान हुसैन का कहना है कि एंटी स्मॉग गन एक पॉयलेट प्रोजेक्ट है. सरकार आने वाले सर्दी के मौसम के लिए तैयारी कर रही है. आनंद विहार में टेस्ट के बाद एंटी स्मॉग गन में बदलाव किए गए हैं और पीएम 2.5, पीएम 10 से निपटने के लिए मिस्ट वाटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा जब इस स्कीम को स्थायी किया जाएगा तब जनरेटर के बजाय इन्वर्टर का इस्तेमाल होगा.

दिल्ली सरकार के मुताबिक पर्यावरण के जानकारों ने एंटी स्मॉग गन को कारगर बताया है. ट्रायल में सफल रहने पर इसकी संख्या बढाई जाएगी. एंटी स्मॉग गन के अलावा दिल्ली सरकार ने जगह जगह एंटी पॉल्यूशन टॉवर भी लगाए हैं.

आपको बता दें कि तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद केजरीवाल सरकार चौथे साल में प्रवेश कर चुकी है. इस दौरान प्रदूषण से निपटने के लिए प्रयोग भी खूब हुए, प्रयोग का दौर अब भी जारी है. अब इंतजार इस बात का है कि अपने पहले कार्यकाल में केजरीवाल सरकार प्रदूषण खत्म करने का कोई ठोस समाधान ढूंढ पाती है या नहीं.

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