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दिल्ली से सटे गांवों में न जले पराली, बायो डिकम्पोजर का छिड़काव कराएगी केजरीवाल सरकार

गोपाल राय ने कहा कि पिछले साल 5 अक्टूबर से बायो डिकम्पोजर का घोल बनाया था लेकिन इस साल 24 सितंबर से ही बायो डिकम्पोजर बनाने की शुरुआत होगी.

दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (फाइल फोटो) दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:44 AM IST
  • सर्दियों में खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है प्रदूषण का स्तर
  • 24 सितंबर से बायो डिकम्पोजर बनाने की होगी शुरुआत

दिल्ली से सटे गांवों में पराली न जले, इसके लिए केजरीवाल सरकार एक्टिव मोड में आ गई है. खेतों में पराली जलने से रोकने के लिए इस साल भी केजरीवाल सरकार बायो डिकम्पोजर का छिड़काव करवाएगी. दिल्ली के किसानों को बायो डिकम्पोजर का घोल मुफ्त में मुहैया कराए जाने का ऐलान भी पर्यावरण विभाग ने कर दिया है. सोमवार को  गोपाल राय ने कहा कि पिछले साल 5 अक्टूबर से बायो डिकम्पोजर का घोल बनाया था लेकिन इस साल 24 सितंबर से ही बायो डिकम्पोजर बनाने की शुरुआत होगी.

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उन्होंने कहा कि खरखरी नाहर नर्सरी में पूरी दिल्ली के लिए बायो डिकम्पोजर घोल बनाया जाएगा. 29 सितंबर तक इसकी मात्रा को डबल किया जाएगा. 5 अक्टूबर तक छिड़काव के लिए घोल बन जाएगा. जहां-जहां से मांग होगी, वहां छिड़काव की प्रक्रिया शुरू होगी. पिछले साल 2000 एकड़ खेत में बायो डिकम्पोजर का छिड़काव हुआ था जो बासमती धान के खेत थे. इस साल बासमती और नॉन बासमती खेत मे दिल्ली सरकार बायो डिकम्पोजर का मुफ्त में छिड़काव करवाएगी.

गोपाल राय ने कहा कि 25 लोगों की टीम किसानों से जानकारी जुटा रही है कि कितने खेत में बायो डिकम्पोजर का छिड़काव होना है. इस साल 4000 एकड़ खेत मे बायो डिकम्पोजर खेत मे छिड़काव की तैयारी कर रहे हैं, साथ ही मांग बढ़ने पर प्रोडक्शन भी बढ़ाया जाएगा. दिल्ली में वेस्ट और साउथ इलाकों में खेती अधिक होती है. उन्होंने कहा कि पूसा इंस्टीट्यूट के कृषि वैज्ञानिक इस मुहिम को मॉनिटर करेंगे. एक एकड़ खेत में छिड़काव के लिए 10 लीटर बायो डिकम्पोजर की जरूरत होती है. पिछले साल बायो डिकम्पोजर के छिड़काव में 25 लाख रुपये का खर्च आया था और इस बार 50 लाख रुपये का खर्च आएगा.

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सर्दियों में खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है प्रदूषण

गौरतलब है कि सर्दी के मौसम में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. इसकी एक मुख्य वजह पराली का जलना है. पराली प्रदूषण से पूरे नॉर्थ इंडिया में प्रदूषण घातक रूप लेता है. दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर खेतों में बायो डिकम्पोजर के छिड़काव का सफल प्रयोग किया था. बायो डिकम्पोजर के छिड़काव के बाद पराली खाद में बदल जाती है और खेत की उर्वरा क्षमता भी बढ़ जाती है.

 

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