
राजधानी दिल्ली की रिहायशी इलाकों में चल रही इंडस्ट्रियल यूनिट्स को कोर्ट के कई आदेशों के बाद भी बंद न करने को लेकर दिल्ली हाइकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से खासी नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने दोनों सरकारों से पूछा है कि क्या नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उन आदेशों का पालन हो रहा है, जिनमें गैरक़ानूनी इंडस्ट्रियल यूनिट्स को बंद करने का आदेश दिया गया है.
हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को 13 सितंबर तक मामले में अपनी स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की सफाई को लेकर लगाई गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
कोर्ट ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर आपकी तरफ से अब तक क्या कदम उठाए गए हैं. क्या सच में जमीनी स्तर पर एनजीटी के आदेश का पालन हो रहा है. कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आखिर ऐसी परिस्थिति क्यों पैदा होती है, जब खुद अदालतों को अपने ही दिए आदेश के पालन के लिए निगरानी रखनी पड़े.
दरअसल सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये मामला एनजीटी से जुड़ा है. लिहाजा इस पर हाईकोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए. हाईकोर्ट ने पूछा कि पहले आप यह बताएं कि क्या आपने एनजीटी के आदेश का अब तक कितना पालन किया है.
हाईकोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका में कहा गया है कि गंदे नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट किये ही यमुना में छोड़ा जा रहा है. पिछले कुछ सालों में यमुना की सफाई को लेकर करीब 6500 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं जो अब तक पूरी तरह से बर्बाद गए हैं. राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का 22 किलोमीटर क्षेत्र मृत यानी डेड होने के कगार पर है.
इस मामले में एनजीटी ने अपने आदेश में दोनों सरकारों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि बिना ट्रीटमेंट किये औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला दूषित पानी नालों में किसी भी हाल में न छोड़ा जाए. क्योंकि यही पानी यमुना नदी में जाता है.