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दिल्ली सरकार का भूजल स्तर सुधारने पर जोर, बनाएगी 10 एकड़ में झील

दिल्ली सरकार भूजल स्तर बढ़ाने के लिए झील निर्माण पर जोर दे रही है. दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने मौजूदा पप्पनकलां झील की जल धारण क्षमता को 10 एमजीडी से बढ़ाकर 20 एमजीडी करने के निर्देश दिए हैं.

दिल्ली में वॉटर ट्रीटमेंट पर भी सरकार का फोकस. (तस्वीर-ट्विटर) दिल्ली में वॉटर ट्रीटमेंट पर भी सरकार का फोकस. (तस्वीर-ट्विटर)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:03 PM IST
  • दिल्ली में बढ़ाई जाएगी झीलों की ग्रहण क्षमता
  • अतिरिक्त झीलों के निर्माण पर भी फोकस

गर्मी के प्रकोप और मानूसन की दस्तक से पहले दिल्ली सरकार अब भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए झील निर्माण पर फोकस कर रही है. दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों के साथ गुरुवार को रिठाला एसटीपी के पास पप्पनकलां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), द्वारका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) और सप्लीमेंट्री ड्रेन का दौरा कर निरीक्षण किया.

सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को मौजूदा पप्पनकलां झील की जल धारण क्षमता को 10 एमजीडी से बढ़ाकर 20 एमजीडी करने के निर्देश दिए हैं. जल मंत्री ने कहा कि मौजूदा पप्पनकलां झील के बगल में 50 मिलियन गैलन की क्षमता वाली 2 अतिरिक्त झीलों का निर्माण किया जाएगा.

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सत्येंद्र जैन ने द्वारका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट दौरा कर अधिकारियों को द्वारका डब्ल्यूटीपी की उत्पादन क्षमता 50 एमजीडी से बढ़ाकर 70 एमजीडी करने के निर्देश भी दिए हैं.

सत्येंद्र जैन ने कहा कि द्वारका वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के अंदर भूजल स्तर बढ़ाने के लिए 10 एकड़ क्षेत्र में एक झील का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने रिठाला एसटीपी के पास एक कम लागत वाले वियर का निर्माण किया है, जिससे नालों के अनट्रीटेड सीवेज को एसटीपी में डायवर्ट किया जा सके. इसी तरह के वियर सिस्टम को पूरी दिल्ली में अपनाया जाएगा.
 

बढ़ाई जाएगी जलधारण क्षमता
जल मंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि झील की जल धारण क्षमता को बढ़ाकर 20 एमजीडी किया जाए और दो अतिरिक्त झीलों का भी निर्माण किया जाए. उन्होंने कहा कि 40 एमजीडी ट्रीटेड पानी का उपयोग झील के कायाकल्प के लिए किया जाएगा.

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सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने नाले के अशोधित सीवेज को एसटीपी में डायवर्ट करने के लिए कम लागत वाले वियर का निर्माण किया है. इससे किसी भी बहते नाले में अपशिष्ट जल के प्राकृतिक उपचार में तेजी आएगी और नदी में बहने वाले प्रदूषक भार को कम किया जा सकेगा.
 

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