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दिल्ली सरकार की SC में याचिका, यूपी-पंजाब-हरियाणा के 10 पावर प्लांट को बंद करने की मांग

यूपी, पंजाब और हरियाणा में चल रहे 10 पावर प्लाटों को बंद कराने की मांग को लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. दिल्ली सरकार का कहना है कि इन पावर प्लांटों की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है.

10 थर्मल पावर प्लांट बंद करने की मांग को लेकर याचिका दायर (फाइल फोटो) 10 थर्मल पावर प्लांट बंद करने की मांग को लेकर याचिका दायर (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:35 PM IST
  • पावर प्लांट बंद कराने की मांग
  • दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का दावा

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली के आसपास पुराने और प्रदूषण पैदा करने वाली पुरानी तकनीक से चल रहे 10 थर्मल पावर प्लांटों को बंद करने की मांग की है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कोयले से चलने वाले ये 10 थर्मल पावर प्लांट दिल्ली-एनसीआर की हवा को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठा रही है. साथ ही, पत्र लिखकर केंद्र सरकार से इन थर्मल पावर प्लांटों से होने वाले प्रदूषण के संबंध में सहयोग का अनुरोध भी कर रही है, लेकिन केंद्र से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है.

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दिल्ली सरकार के मुताबिक, ये याचिका पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कोयले से चलने वाले 10 थर्मल पावर प्लांट्स के संबंध में दायर की गई है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की वायु को प्रदूषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ये 10 थर्मल पावर प्लांट दादरी एनसीटीपीपी (यूपी), हरदुआगंज टीपीएस (यूपी), जीएच टीपीएस (पंजाब), नाभा टीपीपी (पंजाब), रोपड़ टीपीएस (पंजाब), तलवंडी साबो टीपीपी (पंजाब) यमुनानगर टीपीएस (हरियाणा), इंदिरा गांधी एसटीपीपी (हरियाणा), पानीपत टीपीएस (हरियाणा), राजीव गांधी टीपीएस (हरियाणा) हैं.

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दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा इन थर्मल पावर प्लांटों को दी गई अनुपालन समय सीमा को संशोधित कर दिसंबर 2019 कर दिया गया था, जबकि उसके पहले 2018 की समय सीमा दी गई थी. वहीं, सीपीसीबी ने मनमाने तरीके से उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन की समय सीमा को दिसंबर 2019 से आगे बढ़ाकर 2022 कर दिया है. इसके अलावा, नई अधिसूचना के अनुसार, मानदंडों का अनुपालन न करने पर प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयां बंद नहीं होंगी, बल्कि वे महज कुछ जुर्माना राशि का भुगतान कर प्रदूषण जारी रखेंगी.

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दिल्ली सरकार के मुताबिक, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पावर प्लांट संचालकों ने 2003 और 2016 के बीच स्थापित बिजली प्लांटों के लिए एनओएक्स मानदंडों को भी कमजोर किया है. यह अनुमान लगाया गया है कि एसओ-2 और एनओएक्स नियंत्रण सुविधाओं की स्थापना में देरी के कारण 2018 के परिचालन स्तर पर दिल्ली-एनसीआर के आसपास के क्षेत्रों में प्रतिदिन 13 से अधिक मौतें और 19 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है, जो अगर पावर प्लांटों को 2018 की तुलना में अधिक संचालित किया जाता है, तो यह बढ़ सकता है.

दिल्ली सरकार का दावा है कि इन पॉवर प्लांटों को बंद कराने की मांग को लेकर अक्टूबर 2020 में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और सीपीसीबी को भी चिट्ठी लिखी जा चुकी है.

 

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