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दिल्ली में इस साल डेंगू और चिकनगुनिया का विकराल रूप देखने को मिला. पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने इस महामारी के लिए कुछ अफसरों पर दोष मढ़ कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की तरकीब निकाली. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने उन अफसरों के नाम मांगे तो दिल्ली सरकार देश की शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने में लाचार रही. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया. हालांकि जुर्माने की यह रकम बहुत बड़ी नहीं है लेकिन आम आदमी की रहनुमा होने का दावा कर दिल्ली की कुर्सी पर बैठी केजरीवाल सरकार के लिए यह बड़ा तमाचा है.
देश की राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया का ऐसा कहर करीब 10 साल पहले दिखा था. वैसे दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ वर्षों से यह समस्या आम हो चली है. हर साल बारिश का मौसम खत्म होते ही डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सामने आने लगते हैं. जाहिर है दिल्ली में राज कर रही केजरीवाल सरकार को भी इसका इल्म होगा. लेकिन पिछले महीने तो एक समय ऐसी हालत हो गई थी कि अस्पतालों में डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही थी और दिल्ली सरकार के सीएम सहित पूरा अमला राजधानी से बाहर था.
दिल्ली में महामारी, सरकार सैर पर
सितंबर के दूसरे हफ्ते में यह महामारी चरम पर थी तो दिल्ली की जनता की खैरखबर लेने वाला कोई नहीं था. सीएम अरविंद केजरीवाल पहले पंजाब चुनाव के लिए प्रचार में निकले, फिर अपना इलाज करवाने बेंगलुरु चले गए. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया फिनलैंड दौरे पर तो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन चुनाव प्रचार के लिए गोवा में थे. केजरीवाल कैबिनेट के कुछ और मंत्री भी अन्य वजहों से राजधानी से बाहर थे. दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग अमेरिका दौरे पर थे तो दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव चंद्राकर भारती 15 दिनों की लीव पर चले गए थे.
स्वास्थ्य मंत्री का ज्ञान और गुस्सा
खैर, दिल्ली में महामारी का मसला मीडिया की सुर्खियां बना तो दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार कर दिल्ली लौटे. यहां पत्रकारों ने जब उनसे दिल्ली के स्वास्थ्य को लेकर सवाल पूछे तो वो विज्ञान समझाने लगे कि चिकनगुनिया से दुनिया में एक भी मौत नहीं हुई है. वो इस दौरान पत्रकारों पर भी भड़क उठे. गुस्से में तो उन्होंने एक पत्रकार का मोबाइल भी फेंक दिया. चार दिन बाद जैन ने अपनी बात दोहराई और गूगल का हवाला देते हुए कहा कि गूगल भी कहता है कि चिकनगुनिया से किसी मरीज की मौत नहीं होती. हालांकि, उनके इस 'गूगल ज्ञान' का रियलिटी चेक किया गया तो स्वास्थ्य मंत्री फेल साबित हुए.
आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर
राजधानी में महामारी के दौर में आरोपों-प्रत्यारोपों का भी दौर जमकर चला. दिल्ली सरकार अस्पतालों में बेड की कमी बताकर इसके लिए केंद्र सरकार और एलजी को जिम्मेदार ठहराती रही तो दूसरी ओर कहती रही कि सफाई और फॉगिंग की जिम्मेदारी एमसीडी की है. दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव की छुट्टी को भी केजरीवाल सरकार ने मुद्दा बनाया. इनका कहना था कि एलजी ने पहले केजरीवाल सरकार की ओर से रखे गए स्वास्थ्य सचिव को हटाया और अपने बनाए स्वास्थ्य सचिव को जान-बूझकर छुट्टी पर भेज दिया. दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा, 'एलजी साहब आप जहां कहीं भी हो एक बात याद रखना, दिल्ली की जनता के खिलाफ ऐसी नापाक और क्रिमिनल साजिश करने के लिए भगवान आपको कभी माफ नहीं करेगा.'
मोहल्ला क्लीनिक का क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने जब अपना हलफनामा दायर किया तो इस बार भी स्वास्थ्य सचिव पर सारा दोष मढ़ दिया. जैन ने आरोप लगाया कि चंद्राकर भारती ने मोहल्ला क्लीनिक को स्थापित करने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई. इतना ही नहीं, स्वास्थ्य सचिव ने छुट्टी पर जाने से पहले मुझसे मिलना जरूरी नहीं समझा और लौटने के बाद भी किसी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया. ये वहीं सत्येंद्र जैन हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले ऐलान किया था कि मोहल्ला क्लीनिक भी फीवर क्लीनिक की तरह काम करेंगे. लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया के दौर में जब इन मोहल्ला क्लीनिक्स का रियलिटी चेक किया गया तो पता चला कि ये क्लीनिक डेंगू और चिकनगुनिया से लड़ने में नाकाफी साबित हो रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चुनाव से पहले राजधानी में एक हजार मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने का वादा किया था.
चुनाव से पहले झाड़ू
झाड़ू आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह है. दिल्ली में चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इस चुनाव चिन्ह वाली टोपी पहने हाथों में झाड़ू लिए दिल्ली भर में घूमते दिखते रहते थे. जगह-जगह पर झाड़ू लगाते भी दिख जाते थे. लेकिन ये कार्यकर्ता अगर डेंगू और चिकनगुनिया के दौर में भी गली-मोहल्लों झाड़ू लगा देते तो शायद डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर फैल ही नहीं पाते. और आज स्थिति इतनी गंभीर नहीं हो पाती. लेकिन केजरीवाल सरकार को उस दिल्ली की जनता की कहां चिंता थी जिसने यह सोचकर आम आदमी पार्टी को दिल खोलकर वोट दिया कि नई सरकार बनी तो आम जनता को उसके सामने आने वाली मुसीबत से अब दो-चार नहीं होना पड़ेगा. दिल्ली की सरकार तो अब 'विस्तार' के सपने देख रही है और पंजाब और गोवा में होने वाले चुनाव पर नजरें गड़ाई हुई हैं.