
दिल्ली हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक हजार नई स्टैंड फ्लोर बस खरीदने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इन स्टैंडर्ड फ्लोर बसों में हाइड्रोलिक लिफ्ट लगाई जाए, जिससे विकलांग भी आसानी से इन बसों का इस्तेमाल कर सकें. वहीं कोर्ट में दिव्यांग वकील निपुन मल्होत्रा की तरफ से याचिका लगाई गई थी. उनका कहना था कि लो फ्लोर बसों को हटाकर सरकार जो स्टैंडर्ड फ्लोर बसें ख़रीद रही है वह 2016 के डिसेबल्ड एक्ट का सीधा उल्लंघन है.
क्या थी याचिकाकर्ता की मांग
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार की तरफ से जो स्टैंडर्ड फ्लोर बसें खरीदने का प्रस्ताव है, उससे दिव्यांग और बुजुर्गों की दिक्कतें बढ़ेंगी. कोर्ट ने निपुण मल्होत्रा की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि कुल बसों का 10 फ़ीसदी दिव्यांगों के लिए कोटा होना चाहिए जो पहले से ही डीटीसी की लो फ्लोर बस इस के रूप में उपलब्ध है. हालांकि याचिकाकर्ता ने 'आजतक' से कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को वह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.
दिल्ली सरकार का रास्ता साफ
हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार के लिए डीटीसी के बेड़े में शामिल करने के लिए स्टैंडर्ड फ्लोर बसे खरीदने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल दिल्ली सरकार को एक हज़ार नई स्टैंडर्ड फ्लोर बसें खरीदनी है, लेकिन इन सभी बसों में हाइड्रोलिक लिफ्ट लगवाना अनिवार्य होगा.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि डीटीसी की कुल बसों में 10 फीसदी विकलांगों के लिए आरक्षित होंगी. मगर दिलचस्प यह है कि इसके लिए एक भी लो फ्लोर बस खरीदने की दिल्ली सरकार को आवश्यकता नहीं है. क्योंकि डीटीसी के बेड़े में अभी लो फ्लोर 69 फ़ीसदी बसें हैं. अगर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को लागू कर दिया गया तो यह प्रतिशत और घटकर 50 फ़ीसदी से भी कम हो जाएगा.