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अरुण जेटली मानहानि केस में केजरीवाल को थोड़ी खुशी थोड़ा गम

दिल्ली हाई कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल के उस आग्रह को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने 1999 से 2013  तक अरुण जेटली के अध्यक्ष रहते हुए डीडीसीए की बैठकों का पूरा ब्यौरा मांगा था.

 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फोटो क्रेडिट- रॉयटर्स) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फोटो क्रेडिट- रॉयटर्स)
सुरभि गुप्ता/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:09 AM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से दायर मानहानि के मामले में डीडीसीए के दो दस्तावेजों को मंगाने के अनुरोध को दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वकील द्वारा जिरह के एक सत्र में पूछे गए सवालों के संदर्भ में अदालत ने कहा कि वित्त मंत्री के सामने उठाए गए सवाल इस मामले में अप्रासंगिक थे, लिहाजा ऐसे सवाल पूछने से बचना चाहिए.   

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केजरीवाल को 12 फरवरी तक जिरह पूरी करने का निर्देश

हाई कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि जिरह किस दिशा में जा रही थी. जस्टिस मनमोहन ने अपने आदेश में साफ किया कि 10 फरवरी 2003 और छह अप्रैल 2003 के दो दस्तावेज पेश करने का केजरीवाल का अनुरोध कोर्ट स्वीकार कर रही है, जिनके आधार पर जिरह के दौरान जेटली से सवाल किए जा सकते हैं. इस मामले में संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष जेटली की जिरह चल रही है. पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में ही हाई कोर्ट के संयुक्त रजिस्ट्रार ने केजरीवाल को 12 फरवरी तक जिरह पूरी करने का निर्देश दिया है.

HC ने नहीं मानी केजरीवाल की ये मांग

दिल्ली हाई कोर्ट ने हालांकि अरविंद केजरीवाल के उस आग्रह को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने 1999 से 2013  तक अरुण जेटली के अध्यक्ष रहते हुए डीडीसीए की बैठकों का पूरा ब्यौरा मांगा था. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वो ये नहीं समझ सकती कि केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के इस मामले में बैठक का ब्यौरा कैसे प्रासंगिक है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री द्वारा इन दस्तावेजों की मांग के संबंध में कोई पुख्ता आधार भी नहीं बताया गया है. जिन दस्तावेजों की मांग स्वीकार की है उसके संदर्भ में हाई कोर्ट ने केजरीवाल को दो दिनों के अंदर उचित आवेदन देने के लिए कहा है.

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