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दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी बेटी के यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत दे दी है. जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह इस बात से अपनी आंखें नहीं मूंद सकता कि लड़की के माता-पिता के बीच वैवाहिक विवाद है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि लड़की को बहला-फुसलाकर यह आरोप लगवाया गया हो.
जस्टिस विकास महाजन ने पाया कि लड़की चार साल से अधिक समय से अपनी मां के साथ रह रही है और FIR दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई है. कोर्ट ने कहा कि लड़की की मां और पिता ने एक-दूसरे के खिलाफ FIR दर्ज कराईं और मां की पिछली शिकायतों में यौन उत्पीड़न की कथित घटनाओं का 'जरा भी संदर्भ नहीं है.'
कोर्ट ने एक हालिया आदेश में कहा, 'निस्संदेह, आरोप गंभीर हैं, लेकिन यह अदालत इस तथ्य से अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती कि पीड़िता के माता-पिता के बीच वैवाहिक विवाद है. लिहाजा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शिकायतकर्ता ने अपनी अभिरक्षा में मौजूद नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर याचिकाकर्ता पर झूठा आरोप लगवाया हो.'
याचिकाकर्ता व्यक्ति ने जमानत मांगते हुए अदालत को बताया कि उसके और पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद है और लगभग 15 साल की उसकी बेटी अपनी मां के साथ रह रही है जबकि 10 साल का बेटा उसकी अभिरक्षा में है.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी एक पुलिस अधिकारी के साथ रह रही है जो फर्जी शिकायतें दर्ज कराने में उसकी मदद कर रहा है. याचिकाकर्ता को 21 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
कथित घटनाएं 2019-2022 में हुईं, शिकायत पहली बार 2023 में ही की गई थी, अदालत ने कहा कि जाहिर है, FIR दर्ज करने में अत्यधिक देरी हुई है.
कोर्ट ने कहा कि यदि सुनवाई उचित समय के भीतर समाप्त होने की संभावना नहीं है तो आरोपी को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है.
मौजूदा मामले में अदालत ने कहा, जांच पूरी हो गई है और आरोप पत्र दायर किया गया है लेकिन मुकदमे के निष्कर्ष में समय लगने की संभावना है.