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रमजान के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने निज़ामुद्दीन के मरकज़ को खोलने को लेकर बड़ा फैसला दिया. हाई कोर्ट ने मरकज में 50 लोगों को रमजान के महीने में 5 बार की नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने फिलहाल एक फ्लोर ही खोलने का आदेश दिया है.
बता दें कि कोरोना महामारी के बीच कोर्ट ने कहा कि रमज़ान के मद्देनजर 50 लोगों को ही नमाज़ अदा करने के लिए मरकज़ में प्रवेश मिलेगा. कोर्ट ने इस दौरान सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने और डीडीएमए की गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर इस दौरान डीडीएमए के कोई नई गाइडलाइन्स या आदेश जारी होते हैं, तो उनका पालन निज़ामुद्दीन के मरकज़ की मस्जिद को भी करना होगा. वहीं मरकज की तरफ से पेश हुए वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करेंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र से जो हलफनामा दिया गया है, उसमें ये साफ़ नहीं किया है कि बाकी और धार्मिक स्थानों पर लोगों को जाने की इजाजत है या नहीं. जबकि 10 अप्रैल का डीडीएमए का नोटिफिकेशन भीड़ न बढ़ाने को तो कहता है, लेक़िन इसमें किसी धार्मिक स्थान को पूरी तरह बंद करने के निर्देश नहीं दिए गए हैं.
केंद्र सरकार के वक़ील रजत नायर ने कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया कि कालका जी मंदिर में नवरात्रि में आरती के दौरान भीड़ को रोकने के लिए ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई है, साथ ही गोल मार्केट के चर्च ने भी लोगों को वहां न आने को कहा है.
आपको बता दें कि निजामुद्दीन मरकज को रमजान के दौरान खोलने से जुड़े मामले में केंद्र ने अपना हलफनामा दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया. इस हलफनामे में दिल्ली पुलिस के माध्यम से बताया गया कि दिल्ली में लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर डीडीएमए 10 अप्रैल को सभी धार्मिक स्थानों पर भीड़ रोकने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर चुका है. ऐसे में कोर्ट दिल्ली के हालिया स्थिति को देखते हुए खुद तय कर ले कि मरकज़ को खोला जाए या नहीं.
इस हलफनामे में कहा गया है कि मरकज के फर्स्ट फ्लोर को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए खोलने की इजाजत अगर दी जाती है तो फिर उसकी सीसीटीवी फुटेज पुलिस और प्रशासन के पास मौजूद रखी जाए. जिसपर अब कोर्ट ने फैसला सुनाया है.