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दिल्ली में दिसंबर 2019 में हुए जामिया हिंसा से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने छात्र नेता शरजील इमाम की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की और दिल्ली पुलिस नोटिस जारी किया है. इसमें पुलिस को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है. शरजील इमाम ने राजद्रोह और घृणा भाषण के आरोप जोड़ने वाली पूरक चार्जशीट को रद्द करने की मांग की है. शरजील पर जामिया मिलिया इस्लामिया में कथित आपत्तिजनक भाषण देने का आरोप है.
हाई कोर्ट में जस्टिस रजनीश भटनागर ने इस याचिका पर नोटिस जारी किया और अभियोजन पक्ष को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय दिया. इस मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से 16 अप्रैल, 2020 को पहला पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पूरक आरोप पत्र में राजद्रोह तथा घृणा भाषण के अपराध को जोड़े जाने को चुनौती दी गई है. वकील ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान शरजील इमाम के कथित आपत्तिजनक भाषण समेत दो भाषणों के संबंध में दिल्ली पुलिस ने पहले ही अलग प्राथमिकी दर्ज की है. याचिका में निचली अदालत को इस मामले में लगाए गए अन्य सभी अपराधों के मामले में मुकदमे को आगे बढ़ाने का निर्देश देने के लिए भी कहा गया है.
भड़काऊ भाषण के आरोप में गिरफ्तारी!
वर्तमान FIR 15 दिसंबर, 2019 को जामिया और माता मंदिर मार्ग पर हुई हिंसा पर आधारित है, जिसमें दंगा और गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम शामिल हैं. मामले को अपराध शाखा को सौंप दिया गया है और शरजील इमाम को 17 फरवरी, 2021 को एक सह-आरोपी के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया है, जिसने दावा किया है कि इमाम के 13 दिसंबर, 2019 के भाषण को सुनने के बाद उसे अपराध करने के लिए उकसाया गया था.
Delhi : जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम आरोप मुक्त, फिलहाल जेल से रिहाई नहीं
'एक ही घटना पर कई आपराधिक कार्रवाई नहीं हो सकतीं'
पहली सप्लीमेंट्री चार्जशीट में इमाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) और 153ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) को जोड़ा गया था. याचिका में कहा गया है कि एक व्यक्ति के खिलाफ एक ही घटना पर कई आपराधिक कार्रवाई नहीं हो सकती है और याचिकाकर्ता के खिलाफ एक ही कथित भाषण के लिए शुरू किए गए कई मुकदमे 'अवैध' और संविधान के खिलाफ हैं.
जेल में बंद हैं शरजील इमाम
बता दें कि 30 सितंबर, 2022 को इमाम को निचली अदालत ने मौजूदा प्राथमिकी में नियमित जमानत दे दी थी, लेकिन अन्य मामलों में हिरासत के कारण वह अभी भी जेल में हैं. शरजील पर आईपीसी 143,147,148, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341, 120B और 34 की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई थी, इसी केस में शरजील को आरोप मुक्त किया गया है.
दिल्ली की साकेत कोर्ट से भड़काऊ भाषण मामले में शरजील इमाम को मिली जमानत
इमाम दिल्ली में दिसंबर 2019 में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बाद हुई हिंसा के मामले में फंसे हैं. वो फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुए दंगों के पीछे की 'बड़ी साजिश' से संबंधित यूएपीए मामले में भी शामिल हैं. बताते चलें कि 11 मई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों द्वारा देशभर में राजद्रोह के अपराध के लिए एफआईआर दर्ज करने, जांच करने और जबरदस्ती के उपायों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. मामले में अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.
बिहार का रहने वाला है शरजील इमाम
दिल्ली पुलिस ने शरजील के खिलाफ जो चार्जशीट दायर की थी. उसके मुताबिक उसने अपने भाषणों से केंद्र सरकार के प्रति घृणा, अवमानना और अप्रसन्नता पैदा की थी, जिससे लोग भड़के और फिर दिसंबर 2019 में जामिया में हिंसा हुई थी. शरजील इमाम ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक और एमटेक किया है, जबकि 2013 में शरजील ने जेएनयू में आधुनिक इतिहास में पीजी की डिग्री पूरी की है. शरजील बिहार के जहानाबाद जिले के रहने वाले हैं. शरजील के माता-पिता और भाई जहानाबाद के काको में रहते हैं.