
चांदनी चौक के पुनर्विकास प्रोजेक्ट से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह 19 मई को मामले में विस्तृत सुनवाई करेगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी अथॉरिटीज को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अतिक्रमण से मुक्त कराए गए इलाके में फिर से कोई अवैधा कब्जा न होने दें. कोर्ट ने कहा कि अपने-अपने जिम्मे के कामों को तय समयावधि में पूरा करें, इसमें किसी तरह की कोई लापरवाही न होने दें ताकि मेहनत पर पानी न फिरे.
हाई कोर्ट ने कहा कि सभी अधिकारी शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम (एसआरडीसी) के अध्यक्ष द्वारा दी गई समयसीमा का पालन हर हाल में करें. कोर्ट का मानना था कि अगर दोबारा अतिक्रमण नहीं होगा तो फिर अच्छा काम व्यर्थ नहीं जाएगा.कोर्ट ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 18 मई के लिए स्थगित कर दी.
कोर्ट का यह निर्देश एसआरडीसी अध्यक्ष की उस रिप्रेजेंटेशन पर आया है जिसमें उन्होंने शहरी विकास मंत्री की अध्यक्षता में हाल ही में 9 अप्रैल को हुई बैठक का ब्यौरा रखा और कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए समयसीमा और निर्देशों का गंभीरता से पालन करें.
एसआरडीसी की ओर से बतौर वकील कोर्ट में पेश हुए नौशाद अहमद खान ने कहा कि क्षेत्र में लगातार दोबारा अतिक्रमण हो रहा है.इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या एसआरडीसी अधिकारियों को निर्देश देने में वह खुद सक्षम नहीं है? लेकिन वकील ने कोर्ट को बताया कि परियोजना में 16 से अधिक सांविधिक प्राधिकार शामिल हैं. ऐसे में इन सबके बीच तालमेल लगभग असंभव है. यही कारण है कि इसी तालमेल को बनाने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई थी जो उन सबसे बात करता रहा है और हाईकोर्ट को भी समय-समय पर घटनाक्रमों से अवगत भी कराता रहा है.
नौशाद अहमद खान ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट के नियमित ध्यान देने से परियोजना अपने तार्किक अंजाम के बेहद करीब है. हालांकि चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की ओर से पेश हुए वकील संजीव रैली ने कोर्ट को कहा कि इस परियोजना में पिछले दो साल से विलंब हो रहा है और अधिकारियों की कठिन परिश्रम लगातार बेकार जा रहा है.