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दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली में श्री कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास योजना को मंजूरी दे दी है. साथ ही एमसीडी को प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक बैठक आयोजित करने को कहा है. न्यायमूर्ति प्रथिबा एम सिंह ने मंदिर और उसके परिसर की योजना को मंजूरी दे दी.
मंदिर परिसर में और उसके आसपास नागरिक सुविधाओं और सफाई पर दलीलों की सुनवाई के दौरान जज ने निर्देश दिया कि आर्किटेक्ट द्वारा प्रस्तुत लेआउट योजना को मंदिर प्रशासक द्वारा दिल्ली नगर निगम के टाउन प्लानिंग विभाग को भेजा जाए.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "एमसीडी के अधिकारी आर्किटेक्ट्स और एडमिनिस्ट्रेटर के साथ संयुक्त बैठक करेंगे ताकि लैंडस्केपिंग के पहले हिस्से को शुरू किया जा सके और श्री कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास के लिए मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू हो सके. यदि आर्किटेक्ट के लिए रिज मैनेजमेंट बोर्ड से किसी अनुमोदन की आवश्यकता है तो एमसीडी को यह भी सूचित करना होगा."
इस दौरान कोर्ट को वीडियो के जरिए प्रस्तावित पुनर्विकास की व्यापक रूपरेखा योजना आदि दिखाई गई. इस पर कोर्ट ने, "उपरोक्त योजनाओं को तदनुसार मंजूरी दी जाती है."
पीटीआई के मुताबिक कोर्ट ने मामले में 12 जनवरी से पहले रिपोर्ट मांगी है और स्पष्ट किया कि पुनर्विकास योजना को उचित स्तर पर दिल्ली अग्निशमन सेवा विभाग को भी भेजा जाएगा. कोर्ट ने कहा कि पुनर्विकास योजना किसी भी तरह से उस भूमि में निहित अधिकारों को नहीं छीनती है जिस पर मंदिर स्थित है क्योंकि इसे केवल भक्तों को सुख-सुविधाएं प्रदान करने और उनके लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए लागू किया जा रहा है.
बता दें कि 2021 में, न्यायमूर्ति सिंह ने सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज जे.आर मिधा को मंदिर का प्रशासक नियुक्त किया था. साथ ही अतिक्रमणों और अनधिकृत कब्जेदारों और दुकानदारों को हटाने का भी निर्देश दिया था. इसके अलावा पुनर्विकास योजना प्रस्तुत करने के लिए एक प्रसिद्ध वास्तुकार गूनमीत सिंह चौहान को नियुक्त किया था, जिन्होंने मंदिर और परिसर में सार्वजनिक महत्व की विभिन्न परियोजनाएं शुरू की थीं."