
दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि सरकार राजधानी दिल्ली में चलने वाले सभी व्यावसायिक वाहनों की स्पीड लिमिट को 40 किमी प्रति घंटा से बढ़ाकर 80 किमी प्रति घंटा करने जा रही है और इस स्पीड से वाहनों को चलाने के लिए सभी वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने को कहा जाएगा. दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि सरकार ने इससे जुड़े सभी प्रस्ताव को उपराज्यपाल के पास भेज दिया है और फिलहाल सरकार इन पर मंजूरी का इंतजार कर रही है.
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अनुपम श्रीवास्तव को हाई कोर्ट ने कहा कि वो अपनी सभी बातें हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताएं. कोर्ट ने साफ किया कि हलफनामे में इस बात की भी जानकारी दें कि उपराज्यपाल के पास फिलहाल लंबित प्रस्ताव की क्या स्थिति है. कोर्ट ने सरकार से ये जानकारी अगली सुनवाई यानी 30 जुलाई से पहले देने को कहा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 नवंबर को स्पीड गवर्नर लगाया जाना अनिवार्य किए जाने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था.
कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि व्यावसायिक वाहनों की श्रेणी में कौन-कौन से वाहन आएंगे. कोर्ट ने पहले स्पीड गर्वनर नहीं लगाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने से भी मना कर दिया था. दिल्ली सरकार ने 17 जुलाई, 2018 को अधिसूचना जारी कर सभी व्यवसायिक वाहन जैसे ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाले वाहन, इंटर स्टेट परमिट, नेशनल परमिट वाले वाहनों में स्पीड गवर्नर को लगाना अनिवार्य कर दिया था.
दिल्ली सरकार की ओर से सभी व्यावासायिक वाहनों में स्पीड गर्वनर लगाए जाने को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी. यह याचिका एक संस्था कमर्शियल व्हीकल वेलफेयर एसोसिएशन ने दाखिल की जिसमें सरकार की अधिसूचना को असंवैधानिक और भेदभावपरक बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता का कहना है कि व्यवसायिक वाहनों की गति सीमा कम से कम 80 किमी प्रति घंटा, खतरनाक सामान ले जाने वाले वाहन जैसे डंपर की गति सीमा 60 किमी प्रति घंटा तथा स्कूल बस के लिए 40 किमी प्रति घंटा तय होनी चाहिए. साथ ही अक्टूबर, 2015 के बाद खरीदी गई टैक्सी और कैब को गति सीमा में छूट दी जानी चाहिए.
स्पीड गवर्नर डिवाइस वाहनों की गति को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. इस डिवाइस को वाहनों में इंजन के साथ लगाया जाता है. स्पीड गवर्नर लगाने के बाद वाहन की गति सीमित हो जाती है और तय गति से ज्यादा पर वाहन नहीं चलाया जा सकता. अगर इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है तो वाहन का फिटनेस प्रमाण निरस्त कर दिया जाता है.