
दिल्ली में छात्र संघ के चुनावों के दौरान हर बार जगह-जगह पोस्टरबाजी कर गंदगी फैलाई जाती है. इस मामले पर हाई कोर्ट का रुख हमेशा से सख्त रहा है. इसी कड़ी में कोर्ट ने एक स्थाई कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया है जो DUSU चुनाव के दौरान पब्लिक और प्राइवेट प्रॉपर्टी को गंदा करने वालों पर नकेल कसने का काम करेगी. साथ ही इसके बारे में जागरुकता अभियान चलाएगी.
यह कमेटी को यूनिवर्सिटी कमेटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी के नाम से जानी जाएगी. हाई कोर्ट ने डीयू और कॉलेज प्रशासन को अपने-अपने स्तर पर ऐसी कमेटियों का गठन करने के भी निर्देश दिए हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी के होने वाले अगले चुनावों को देखते हुए 7 जुलाई को कमेटी की पहली बैठक करने को निर्देश भी कोर्ट की ओर से दिए गए हैं.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस निर्देश को भी गाइडलाइंस के तौर पर यहां लागू करने के लिए कहा है, जिसमें समर्थकों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने के लिए उनके राजनेताओं को जिम्मेदार माने जाने की बात कही गई है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने या नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
इस मामले में वकील प्रशांत मनचंदा ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में डूसू चुनाव में छात्र उम्मीदवारों द्वारा प्राइवेट और पब्लिक प्रॉपर्टी को गंदा करने की बात कही गई है.
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की सदस्यता वाली एक पीठ ने उस दिशानिर्देश को मंजूरी नहीं दी, जिसमें किसी उम्मीदवार की तस्वीर या पोस्टर दीवारों पर लगा पाए जाने के बाद उसकी सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है. पीठ ने कहा कि इस दिशानिर्देश का विपक्षी उम्मीदवार गलत इस्तेमाल कर सकते हैं.