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शैक्षणिक संस्थानों को राजनीतिक मंच में नहीं बदला जा सकता, JNU से निलंबित स्टूडेंट को बहाल करने पर दिल्ली HC की टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को एक सुरक्षा गार्ड के साथ मारपीट करने के आरोप में निलंबित छात्रा को बहाल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को दलगत राजनीति के प्रचार-प्रसार के लिए राजनीतिक मंच में नहीं बदला जा सकता है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को एक सुरक्षा गार्ड के साथ मारपीट करने के आरोप में निलंबित छात्रा को बहाल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को दलगत राजनीति के प्रचार-प्रसार के लिए राजनीतिक मंच में नहीं बदला जा सकता है.

जज सी हरि शंकर ने कहा, 'हालांकि राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने वाले छात्रों के खिलाफ कोई प्रतिबंध नहीं हो सकता है, लेकिन उन्हें इस तरह से ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है जिससे कैंपस, या जिस शैक्षणिक संस्थान में वे हैं वहां व्यवस्थित संचालन में बाधा उत्पन्न हो.' कोर्ट ने कहा कि विशेष रूप से शैक्षिक परिसरों को दलगत राजनीति का प्रचार करने के लिए राजनीतिक मंचों में बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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हाई कोर्ट ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के बीच अनुशासन जरूरी है और इसमें कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा, एक पूरी पीढ़ी को कल का नेता बनने के लिए शिक्षित करना है. ऐसे मामलों में सहानुभूति के लिए कोई जगह नहीं है. न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि छात्र अनुशासनहीनता के मामलों में एक शैक्षणिक संस्थान या विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैधानिक प्रोटोकॉल या प्रक्रियात्मक नियमों का सख्ती से पालन किया जाए. 

हाई कोर्ट ने कहा कि यह दो सप्ताह में तीसरा मामला है, जिसमें कोर्ट को गंभीर रूप से विघटनकारी गतिविधियों के संदिग्ध छात्रों को दी गई सजा में हस्तक्षेप करना पड़ा है.

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