
दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से घटिया बन रहे हेलमेट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हेलमेट के निर्माण और बिक्री पर भारतीय मानक ब्यूरो को सख्त निगरानी रखने की जरूरत है, क्योंकि यह पूरा मामला उपभोक्ताओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.
दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी एक एनजीओ की उस याचिका पर आई है जिसमें एनजीओ की तरफ से बताया गया कि 2019 से अब तक 1400 से अधिक शिकायतें करने के बाद भी हेलमेट के अवैध निर्माण और बिक्री से जुड़ी अनियमितताओं पर कोई कार्यवाई नहीं की गई है. हाई कोर्ट में याचिका, एनजीओ उत्प्रेरक कंजूमर फाउंडेशन की तरफ से दाखिल की गई है. जिसमें कहा गया है कि बीआईएस हेलमेट के निर्माण और बिक्री के अनुचित तरीकों को लेकर ठीक से निगरानी नहीं कर रहा है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद टिप्पणी की कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा नकली हेलमेट की निर्माण और बिक्री के चलते दांव पर लगी हुई है ऐसे में हेलमेट के निर्माण और बिक्री पर निगरानी और पर्यवेक्षण की सख्त जरूरत है. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में कोर्ट में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करें.
इस रिपोर्ट में बीआईएस को यह बताना होगा कि अब तक उसने हेलमेट के निर्माण और बिक्री को लेकर क्या क्या कदम उठाए हैं. साथ ही घटिया और अवैध रूप से बन रहे हेलमेट को बाजार में आने से रोकने के लिए अब तक क्या किया गया है. कोर्ट में दाखिल की जाने वाली इस रिपोर्ट में बीआईएस को यह भी बताना होगा कि अब तक आईएसआई चिह्न के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या किया गया है और जिन कंपनियों ने इसका दुरुपयोग किया उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की जा चुकी है.कितने लोगों का लाइसेंस अब तक रद्द किया गया है.
सुनवाई के दौरान सोमवार को याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया अलग-अलग क्षेत्रों के वह लोग भी हेलमेट बना रहे हैं जिनके पास हेलमेट बनाने का लाइसेंस नहीं है. इतना ही नहीं यह लोग आईएसआई चिह्न का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.