
दिल्ली हाईकोर्ट ने मारपीट मामले में चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश को विधानसभा से जुड़ी कमेटियों के सामने पेश होने का आदेश दिया है. दरअसल, मामले में दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से सीएम केजरीवाल के आवास पर मारपीट करने का आरोप है.
उच्च अदालत ने अंशु प्रकाश के साथ ही सीनियर आईएएस ऑफिसर जेबी सिंह और शूरवीर सिंह को भी विधानसभा की कमेटियों के सामने पेश होने के निर्देश दिए हैं. क्वेश्चन एन्ड रेफरेंस कमेटी समेत कुल तीन कमेटी हैं, जिनके सामने कोर्ट के आदेश के बाद अंशु प्रकाश और उनके आईएएस अधिकारियों को पेश होना होगा.
कोर्ट ने कहा कि विधानसभा की कमेटियों के सवालों के जवाब दिए जाने चाहिए. अधिकारियों को कमेटी के सामने पेश होना होगा, लेकिन अधिकारियों के खिलाफ कमेटी कोई कार्रवाई नहीं करेगी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अधिकारी कमेटी के सवालों के जवाब देने के लिए पेश नहीं हुए, तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और फिर कोर्ट अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगा.
दरअसल, दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया कि शुक्रवार को भी ब्यूरोक्रेट्स के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है. अधिकारी आज भी सरकार को सहयोग नहीं कर रहे है.
दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा कि फंड से लेकर डाटा रिपोर्ट तक की कोई भी जानकारी अधिकारियों से मांगी जाती है, तो वो ये कहकर कुछ भी बताने से इंकार कर देते हैं कि वो सर्विस रूल्स के मुताबिक काम कर रहे है. दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा कि आपकी समस्या क्या सिर्फ यही है कि आपको अधिकारियों से पूछे गए सवालों के जवाब नहीं मिल रहे हैं, तो दिल्ली सरकार ने हां में जवाब दिया.
हाईकोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें विधानसभा की कमेटियों के द्वारा चीफ सेक्रेटरी अंशू प्रकाश को तलब किया गया था. हालांकि अंशु प्रकाश ने पेश होने के बजाय कमेटी के आदेश को हाईकोर्ट में यह कहकर चुनौती दे दी कि हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर उनके साथ मारपीट की गई है. लिहाजा वो सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और विधानसभा की कमेटियां उनके खिलाफ कोई भी आदेश जारी नहीं कर सकती हैं.