
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामले अब कम होने लगे हैं. पिछले कई दिनों से संक्रमण दर भी लगातार गिरता जा रहा है. ऐसे में स्थिति सुधर रही है और आने वाले दिनों में और बेहतर होने की उम्मीद है. लेकिन अभी भी लापरवाही नहीं बरती जा सकती है. लोगों को अभी भी कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना होगा. इसी बात को समझते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से केजरीवाल सरकार को सलाह दी गई है.
कोविड हेल्पलाइन नंबरों का प्रचार जरूरी
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार को अपनी तरफ से हर उस हेल्पलाइन नंबर का प्रचार करना चाहिए जिसके जरिए आम इंसान को जरूरत पड़ने पर मदद मिल सके. कहा गया है कि हर कोरोना हेल्पलाइन नंबर का विज्ञापन अखबार में दिया जाए. वहीं अखबार में भी एक पेज और कॉलम इन हेल्पलाइन नंबर के लिए निर्धारित रहना चाहिए जिससे लोगों को नंबर ढूंढने के लिए इधर-उधर ना भटकना पड़े.
कोर्ट की तरफ से दलील दी गई है कि लोग कई बार नंबरों को याद नहीं रख पाते हैं, ऐसे में जरूरत पड़ने पर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए अगर एक तय जगह पर हर बार इन नंबरों को प्रकाशित किया जाएगा, इससे लोगों को भी सुविधा हो जाएगी और बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान भी चल जाएगा.
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दिल्ली हाई कोर्ट ने आप सरकार को क्या कहा?
कोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार को बताया गया है कि वे केस की अगली सुनवाई तक एक रिपोर्ट तैयार करें और हेल्पलाइन नंबर को प्रचारित करने वाली व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताएं. अभी के लिए दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को जानकारी दी है कि उनकी तरफ से कोविड हेल्पलाइन टोल फ्री 1075, कोविड हेल्पलाइन दिल्ली 011-22307145, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 और सीनियर सिटीजन हेल्पलाइन नंबर 14567 का प्रचार किया जा रहा है. लेकिन कोर्ट का तर्क है कि अभी भी सरकार की तरफ से प्रचार को ज्यादा प्रभावी अंदाज में नहीं किया जा रहा है और उन्हें ये काम काफी पहले ही कर लेना चाहिए था.
क्यों उठा हेल्पलाइन नंबर का मुद्दा?
बता दें कि एमिकस क्यूरी की तरफ कोर्ट में ये बात रखी गयी थी कि अगर दिल्ली सरकार अखबारों में हेल्पलाइन और अन्य डेटा को अधिक प्रचारित करने पर विचार करती है तो यह आम लोगों के काफी मददगार होगा. उन्हीं की तरफ से ये तर्क दिया गया था कि दिल्ली के लोगों को हेल्पलाइन नंबरों को ढूंढने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उस सुझाव के बाद ही दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से सरकार को ये निर्देश दिया गया है.