
दिल्ली में प्रदूषण को कम करने को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, सभी सिविक एजेंसियों को जमकर फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार समेत सभी सिविक एजेंसियां पॉल्यूशन कम करने में फेल साबित हुए हैं. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि किसी ने भी उनके दिए आदेशों का पालन समय रहते नहीं किया.
हाईकोर्ट दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी काफी नाराज दिखा. कोर्ट ने सवाल किया कि बीतें दिनों में कंस्ट्रक्शन को रोकने के लिए उन्होंने कितने मुकदमे दर्ज किए हैं. ऐसी कितनी कंस्ट्रक्शन साइट हैं जिन पर पर्यावरण शुल्क अब तक लगाया गया है. कोर्ट ने बोर्ड से कहा कि आप में कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति ही नहीं है.
बोर्ड के वकील ने बताया कि कंस्ट्रक्शन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 50 हजार का जुर्माना लगाया जाता है. और एकत्रित राशि में से 25 फीसदी उपयोग के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेज दिया जाता है. बोर्ड ने बताया कि एनजीटी के आदेश पर बाकी बची 75 फीसदी रकम को दिल्ली में प्रदूषण को कम करने पर खर्च किया जाता है.
हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि उन प्रस्तावित परियोजनाओं की सूचना वो अगली सुनवाई से पहले कोर्ट को दें जिस पर दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए पैसे खर्च किए गए.
कोर्ट ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि बजट के साथ बोर्ड ने क्या किया. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों को भी आदेश दिया है कि कंस्ट्रक्शन साइट पर से डस्ट कम करने के लिए सख्त कदम उठाएं. हाईकोर्ट मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को करेगा.