
दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार के उस महत्वाकांक्षी वैक्सीनेशन कैंपेन पर फिलहाल रोक लगा दी है जिसमें 16 जनवरी से राजधानी में सभी स्कूलों में खसरे को खत्म करने के लिए मीजल्स रूबैल्ला वैक्सीनेशन दिया जाना था. कोर्ट ने यह रोक इसलिए लगाई है क्योंकि दिल्ली सरकार ने इस इंजेक्शन को लगवाना बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया था. सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि बिना अभिभावकों की मर्जी के बच्चों को स्कूल में यह वैक्सीन जबरन नहीं दी जा सकती है.
दिल्ली सरकार के इस वैक्सीनेशन प्रोग्राम को 16 जनवरी से शुरू होकर चार हफ्तों के लिए चलना था. इसमें 14 साल तक के बच्चों स्कूलों में खसरे के इंजेक्शन लगवाना अनिवार्य किया गया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के इस प्रोग्राम पर रोक लगाने के बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. सरकार को कोर्ट के नोटिस का जवाब 21 जनवरी तक देना है.
हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि जबरन वैक्सीनेशन प्रोग्राम व्यक्तिगत आजादी का हनन है. अपनी जिंदगी के फैसले करने का अधिकार हर व्यक्ति के पास समान है और सरकार इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती.
शिक्षा निदेशालय को कोर्ट के निर्देश
इस मामले में हाई कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ मिलकर विज्ञापन देने को कहा है जिसमें रूबेला मीजल्स वैक्सीन के फायदे बताने को कहा गया है. जिससे अभिभावक खुद ही इस वैक्सीन को लगवाने के लिए तैयार हों. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन अभिभावकों की स्वीकृति नहीं होगी, स्कूल में उन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने कहा है कि सरकार स्कूलों के प्रिंसिपल से और प्रिंसिपल्स क्लास टीचर से, और क्लास टीचर बच्चों के अभिभावकों से संपर्क कर इस वैक्सीन को लगाने की इजाजत लेंगे. हालांकि, सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि देश के 25 अलग-अलग राज्यों में ये वैक्सीन सफलतापूर्वक लगाई गई है.
बता दें कि सरकार के फैसले के खिलाफ यह याचिका के लिए हाई कोर्ट में कुछ अभिभावकों की तरफ से लगाई गई थी जिनके बच्चे प्राइवेट स्कूल्स में पढ़ रहे हैं. इस याचिका में शिक्षा निदेशालय के 19 दिसंबर 2018 की नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसमें अभिभावकों की इजाजत के बगैर खसरे की वैक्सीन को लगाना अनिवार्य कर दिया गया था.