
देश में दूसरी लहर जरूर कमजोर पड़ती दिख रही है, लेकिन तीसरी लहर को लेकर अटकलें अभी से तेज हैं. दावा किया जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चों पर कोरोना का कहर टूटने जा रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि बच्चों को कब कोरोना का टीका लगाया जाएगा. क्या सरकार ने बच्चों के लिए कोई पॉलिसी बनाई है? इन तमाम सवालों के बीच दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. उस याचिका के जरिए सरकार से बच्चों के टीकाकरण को लेकर सवाल-जवाब हुए हैं.
बच्चों की वैक्सीन को लेकर हाई कोर्ट में याचिका
12 से 17 साल के बच्चों और किशोरों को वैक्सीन देने से जुड़ी दो याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है और कहा है कि सरकार इस पर अपना जवाब दाखिल करे. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस उम्र के बच्चों को वैक्सीनशन ना मिलने की वजह से वे घर की चार दिवारी में कैद होने को मजबूर हैं. इस वजह से उनकी पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ने लगा है. एपिडेमिक एक्ट और डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सरकारों की ये जिम्मेदारी है कि इस उम्र के अंदर आने वाले बच्चों को कोरोना से सुरक्षित करने के लिए उन्हें समय रहते टीका लगाया जाए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करते हुए यह बताने को कहा है कि फिलहाल वह इसको लेकर क्या पॉलिसी बना रहे हैं. 17 साल तक के बच्चों को लेकर सरकार की क्या तैयारी है. हाई कोर्ट ने सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने और अगली सुनवाई के लिए 4 जून की तारीख तय कर दी है.
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिकाकर्ता का कहना है कि राजधानी दिल्ली समेत देशभर के आंकड़ों से पता चला है कि अप्रैल 2021 से मई 2021 के बीच कोरोना से संक्रमित होने वाले युवाओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है. कई बच्चों के अपने माता-पिता की मौत के कारण अनाथ हो जाने की भी खबरें हैं. ऐसे में याचिका में कहा गया है कि कोरोना के खिलाफ भारत की वैक्सीनेशन पॉलिसी वायरस के खिलाफ उन बच्चों या पेरेंट्स के लिए विफल रही है जो समाज के कमजोर या सबसे ज्यादा कमजोर वर्ग से हैं. अब इस पर केंद्र और राज्य सरकार का क्या रुख रहता है, इस पर सभी की नजर रहने वाली है.
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अभी के लिए तो देश में टीकाकरण की रफ्तार सुस्त दिखाई पड़ रही है. अप्रैल-मई के आंकड़े तो और ज्यादा चिंता में डालने वाले साबित हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि जून में रफ्तार को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन देश की आबादी को देखते हुए हर इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं और कोरोना का संकट लगातार बना हुआ है.