Advertisement

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक साल की बच्ची को उसकी माँ से मिलवाया

महिला के ससुराल वालों ने कथित तौर पर बच्ची को जबरन अपने पास रख लिया था. क्योंकि उनका कहना था कि वह मानसिक रूप से बीमार है, उसका इलाज चल रहा है. लेकिन हाईकोर्ट ने बच्ची को अंतरिम तौर पर मां के पास भेजने का आदेश दिया है.

दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट
नंदलाल शर्मा/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 03 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:42 AM IST

एक साल की बेटी को कोर्ट के सामने पेश करने की मांग को लेकर लगाई गई एक महिला की याचिका का निपटारा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि मनोचिकित्सक से परामर्श लेने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.

दिल्ली हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि तनावपूर्ण जीवन और आजकल के आपाधापी के माहौल में मनोचिकित्सक से परामर्श लेना आम बात हो चली है.

Advertisement

हाईकोर्ट ने कहा कि आज महिलाएं सभी क्षेत्र में सक्रिय हैं, वे अपने दोस्तों, सहकर्मिंयों और परिवार वालों के साथ सामाजिक होती हैं, इसका मतलब यह नहीं कि वे अपनी मातृत्व से जुड़ी दायित्वों को पूरा करने में विफल हो रही है. कोर्ट में महिला ने याचिका दायर कर गुहार लगाई थी कि उसके पति को कोर्ट आदेश दे कि वो उनकी नाबालिग बेटी को कोर्ट के सामने पेश करे.

महिला के ससुराल वालों ने कथित तौर पर बच्ची को जबरन अपने पास रख लिया था. क्योंकि उनका कहना था कि वह मानसिक रूप से बीमार है, उसका इलाज चल रहा है. लेकिन हाईकोर्ट ने बच्ची को अंतरिम तौर पर मां के पास भेजने का आदेश दिया है.

इसके अलावा बेंच ने महिला के पति की दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि महिला बच्ची से स्वाभाविक रूप से जुड़ी नहीं है और बच्ची का जन्म सरोगेसी से हुआ है.

Advertisement

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सरोगेसी का मतलब यह नहीं कि मां का बच्ची के लिए प्यार कम हो जाएगा. हाईकोर्ट ने महिला की मानसिक स्थिति के संबंध में कहा कि जीवन के तमाम उतार चढ़ाव के कारण तनाव हो सकते हैं, जिसके कारण वह इलाज करा रही थी, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वह मानसिक रूप से संतुलित नहीं है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement