
असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दी गई हेट स्पीच पर दिल्ली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह मामले की जांच दोबारा करें. साथ ही कोर्ट की ओर से दिल्ली पुलिस को आदेश दिया गया है कि वह इस मामले में साक्षी और दस्तावेज जुटाने के बाद जांच पूरी करें और उसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे.
यह मामला साल 2014 का है. उस समय नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद में AIMIM के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हिंदू समुदाय को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था. चुनी हुई मोदी सरकार और हिंदू नेताओं को लेकर भी असदुद्दीन ओवैसी ने 2014 में बेहद आपत्तिजनक बातें अपने सार्वजनिक भाषण में कही थी. इसके अलावा इस भाषण को यूट्यूब पर अपलोड भी किया गया था.
इसी मामले पर अजय गौतम ने दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाया. कोर्ट के आदेश पर ही एफआईआर दर्ज की गई और इसी एफआईआर पर दिल्ली पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. दिल्ली पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसका ऑरिजिनल सोर्स नहीं मिल पाया है और इस कारण से यह नहीं कहा जा सकता कि यह वीडियो असली है या नकली. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वो इस मामले को बंद करना चाहती है क्योंकि इस मामले में अब तक जांच में कुछ भी खास हाथ नहीं लगा.
हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस इस मामले में जानबूझकर ढिलाई बरतती आ रही है. अब तक इस मामले में जांच तो लचर की ही गई है, साथ ही इस एफआईआर पर एक बार भी असदुद्दीन ओवैसी को पुलिस ने पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है. पुलिस कह रही है कि वीडियो असली है या नकली, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस असदुद्दीन ओवैसी के ऑडियो सैंपल लेकर लैब से बड़ी आसानी से पता कर सकती थी कि इस वीडियो में उनकी आवाज है या नहीं.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि 2014 से अब तक दिल्ली पुलिस ने ऐसा नहीं किया. याचिकाकर्ता की इन्हीं दलीलों को सुनने के बाद कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस दोबारा नए सिरे से इस मामले की जांच करे. अब एसीपी शाहदरा को कोर्ट को दोबारा जांच करके कोर्ट को रिपोर्ट सौंपनी होगी.