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केजरीवाल-एलजी की खींचतान में सिर्फ 50 फीसदी कर्मचारियों के भरोसे चल रही दिल्ली सरकार

एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के 20 महत्वपूर्ण विभागों में कर्मचारियों की 20 फीसदी से लेकर 87 फीसदी तक कमी है. केजरीवाल सरकार इस पर श्वेतपत्र जारी कर एक बार फिर एलजी के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रही है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:25 PM IST

दिल्ली सरकार में कर्मचारियों की भारी कमी चल रही है. केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच कई मसलों पर मतभेदों का खामियाजा यह है कि सरकारी कर्मचारियों के 50 फीसदी पोस्ट खाली पड़े हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के 20 महत्वपूर्ण विभागों में कर्मचारियों की 20 फीसदी से लेकर 87 फीसदी तक कमी है. केजरीवाल सरकार इस पर श्वेतपत्र जारी कर एक बार फिर एलजी के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रही है.

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टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार बिजली विभाग में कर्मचारियों की 20 फीसदी तो कानून विभाग में 87 फीसदी तक की भारी कमी है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि हालत काफी गंभीर है और इससे कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लागू होने पर असर पड़ सकता है. दिल्ली में प्रदूषण घटाने के लिहाज से परिवहन विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इस विभाग में कर्मचारियों के 62.7 फीसदी पोस्ट खाली पड़े हैं. इसी तरह राजस्व, आबकारी, मनोरंजन एवं लग्जरी टैक्स, समाज कल्याण, शिक्षा, सांख्य‍िकी एवं अर्थशास्त्र तथा नियोजन विभाग में आधे पोस्ट खाली पड़े हैं.

बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण पीडब्ल्यूडी में कर्मचारियों की 40 फीसदी तक की कमी है. सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने चुनौतियों के आकलन के लिए यह आंकड़े तैयार किए हैं और इसमें उप-राज्यपाल (LG) के 'प्रदर्शन' के बारे में वह एक श्वेतपत्र भी ला सकती है.

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कर्मचारियों की तंगी से जुड़े दस्तावेज मंगलवार को उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली विधानसभा में पेश कर सकते हैं. इस श्वेतपत्र को केजरीवाल सरकार का नया राजनीतिक पैंतरा भी कहा जा सकता है.

केजरीवाल सरकार के निशाने पर एलजी 

दिल्ली सरकार इसका पूरा ठीकरा उप-राज्यपाल के सिर पर मढ़ने वाली है. सरकारी सूत्रों का तर्क है कि दिल्ली हाईकोर्ट के 4 अगस्त, 2016 के आदेश के मुताबिक कर्मचारियों की नियुक्ति, चयन, ट्रांसफर और पोस्ट‍िंग जैसी 'सेवाओं' के प्रमुख एलजी हैं और इस मामले में दिल्ली सरकार असहाय है.

दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट के सहयोगियों ने इन रिक्तियों के बारे में कई बार एलजी को पत्र लिखा है और अब एलजी की जिम्मेदारी है कि इन पदों को जल्द से जल्द भरा जाए.

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