
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने राजस्व विभाग (GNCTD) के एक उप रजिस्ट्रार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत जांच की अनुमति दी है. बता दें कि उप रजिस्ट्रार पर काम के लिए आवेदकों से रिश्वत मांगने का आरोप है. यह शिकायत जनकपुरी के तत्कालीन सब रजिस्ट्रार योगेश गौड़ के खिलाफ साल 2019 और 2020 में दर्ज की गई थी.
इस मामले पर एलजी ने कहा कि न्याय के हित में गौड़ के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने की जरूरत है. इसलिए सतर्कता निदेशालय को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB), जीएनसीटीडी से मिले अनुरोध पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाना चाहिए. एलजी ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कमीशनबाजी के कई सबूत हैं.
रिश्वत देने के बाद मिलती है मंजूरी
दरअसल, सतर्कता निदेशालय ने यह पाया है कि शिकायतकर्ता के आरोपों से संबंधित मामले में राजस्व विभाग ने स्पष्टीकरण नहीं दिया था. सच्चाई सामने लाने के लिए, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच की सिफारिश की थी. बता दें कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी अधिकारी दस्तावेजों को लंबित रखते हैं और रिश्वत देने के बाद ही उन्हें मंजूरी देते हैं.
30 हजार रुपए की दी थी रिश्वत
पीड़ित ने दूसरी शिकायत में आरोप लगाया कि उसने अपनी उत्तम नगर गुलाब बाग की संपत्ति के पंजीकरण के लिए एजेंट राहुल के जरिए 30 हजार रुपये की रिश्वत दी थी. रिश्वत की रकम गैरकानूनी निर्माण के कारण दिल्ली नगर निगम (MCD) के साथ 'बुक की गई संपत्ति' की मुहर न लगाने के लिए ली गई थी.
एसडीएम ने गठित की थी समिति
शिकायतकर्ता का यह भी आरोप था कि गौड़ बिना कारण के दस्तावेजों को रोकते हैं. इस मामले की जांच के लिए एसडीएम (राजौरी गार्डन) की अध्यक्षता में समिति गठित की थी. समिति ने पाया है कि आरोपी अधिकारी के पास बिना किसी ठोस कारण के बड़ी संख्या में पंजीकृत दस्तावेज मिले हैं, जो गलत इरादे को दर्शाते हैं.