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LG ने दिल्ली सरकार से 15 दिन में बिजली सब्सिडी पर फैसला लेने को कहा, बोले- सिर्फ जरूरतमंदों को ही मिले राहत

दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) ने साल 2020 में दिल्ली सरकार को सिर्फ 1 से 5 किलोवाट बिजली कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी देने की सलाह दी थी. हालांकि बिजली विभाग ने ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स का उल्लंघन कर DERC की सलाह को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. इस मामले में दिल्ली के एलजी ने कहा कि केजरीवाल सरकार 15 दिन में फैसला ले. साथ ही कहा कि सिर्फ जरूरतमंदों को ही बिजली सब्सिडी दी जानी चाहिए.

दिल्ली के LG वीके सक्सेना और CM अरविंद केजरीवाल दिल्ली के LG वीके सक्सेना और CM अरविंद केजरीवाल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 5:45 AM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार से बिजली विभाग को निर्देश देने को कहा है कि वह बिजली सब्सिडी पर रोक लगाने संबंधी DERC की सलाह मंत्रिपरिषद के समक्ष रखे और 15 दिन के भीतर इस पर फैसला करे.

दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) ने साल 2020 में दिल्ली सरकार को सिर्फ 1 से 5 किलोवाट बिजली कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी देने की सलाह दी थी. इससे लगभग 95% उपभोक्ताओं को सब्सिडी की सुविधा मिलती. साथ ही हर साल लगभग 316 करोड़ रुपये की बचत भी होती. हालांकि बिजली विभाग ने ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (ToBR) का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए DERC की सलाह को ठंडे बस्ते में डाल दिया था.

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एजेंसी के मुताबिक एलजी ने अपने नोट में कहा कि बिजली सब्सिडी देने की मौजूदा नीति मंत्रिपरिषद द्वारा तय की गई थी. मंत्री एक ऐसे मामले में निर्णय लेने के लिए सक्षम नहीं है, जो टीओबीआर के अनुसार मंत्रिपरिषद के दायरे में आता हो. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को तत्कालीन मंत्री (विद्युत) द्वारा टीओबीआर की उपरोक्त खामियों के बारे में अवगत कराया जा सकता है और जीएनसीटीडी के सभी विभागों के सभी प्रभारी मंत्रियों को निर्देश देने का अनुरोध किया जा सकता है कि वे लेनदेन के प्रावधानों का ईमानदारी से पालन करें. 

वहीं, मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने अक्टूबर 2020 में दिल्ली सरकार को सलाह दी थी कि केवल 3KW या 5KW तक के स्वीकृत भार वाले उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी का विस्तार किया जाए. डीईआरसी ने सुझाव दिया था कि 5 किलोवाट से अधिक निश्चित भार वाले उपभोक्ता सख्ती से सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. नवंबर 2020 में जब बिजली विभाग की ओर से संबंधित मंत्री के समक्ष सलाह रखी गई तो उन्होंने इसे अगले साल कैबिनेट के समक्ष रखने का निर्देश दिया.

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मुख्य सचिव की रिपोर्ट के अनुसार बिजली विभाग ने 13 अप्रैल 2021 को फिर से तत्कालीन बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन के समक्ष एक नोट रखा, लेकिन इसे मौजूदा योजना के पक्ष में खारिज कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने कहा कि कैबिनेट द्वारा तय की गई बिजली सब्सिडी 200 यूनिट तक की मासिक खपत पर 100 प्रतिशत की छूट और 201 से 400 यूनिट की खपत पर 50 प्रतिशत की छूट जारी रहेगी.

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस मामले में 200 करोड़ रुपये से लेकर 316 करोड़ रुपये की सालाना बचत का उद्देश्य शामिल था. मामला सामने आते ही बिजली विभाग ने तीन किलोवाट से अधिक के स्वीकृत लोड के उपभोक्ताओं को सब्सिडी के दायरे से बाहर रखने के लिए फिर से कैबिनेट में प्रस्ताव तैयार करना शुरू कर दिया.

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली विभाग न केवल एलजी के विचार के लिए डीईआरसी की वैधानिक सलाह रखने में विफल रहा बल्कि इसे कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए भी नहीं रखा गया. रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा सब्सिडी योजना को आगे बढ़ाने से पहले वित्त विभाग की मंजूरी भी नहीं ली गई थी.

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