
दिल्ली शराब नीति में हुए कथित घोटाला मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने आठवां समन जारी किया है. समन जारी कर जांच एजेंसी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को 4 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया है.
मंगलवार को आठवां नोटिस जारी करने से पहले ईडी शराबी नीति में हुए कथित घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल को 22 फरवरी को सातवां नोटिस जारी किया था और 26 फरवरी को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा था, लेकिन AAP ने नोटिस को गैरकानूनी बताया था और एजेंसी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को भी कहा था.
ED ने कब-कब जारी किया केजरीवाल से समन
कब भेजा समन | समन की संख्या | पेश हुए या नहीं |
2 नबंवर | पहला | नहीं |
21 दिसंबर | दूसरा | नहीं |
3 जनवरी | तीसरा | नहीं |
17 जनवरी | चौथा | नहीं |
2 फरवरी | पांचवां | नहीं |
14 फरवरी | छठवां | नहीं |
22 फरवरी | सातवां | नहीं |
27 फरवरी | आठवां | प्रतिक्रिया का इंतजार |
गैरकानूनी है नोटिस: AAP
वहीं, उन्होंने सोमवार को ईडी के सातवें नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केजरीवाल को गैरकानूनी नोटिस भेजा गया है. आप ने बार-बार ये सवाल उठाया है कि किस आधार पर ये समन भेजा गया है.जब ED खुद इस मामले को लेकर कोर्ट गई है तो इंतजार क्यों नही कर सकती. ED सिर्फ अरविंद केजरीवाल को डराना चाहती है. चंडीगढ़ में सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से फैसला सुनाया है, उसी का बदला अरविंद केजरीवाल से लिया जा रहा है. अगर ये सिर्फ लीगल मामला होता तो ED कोर्ट के फैसले का इंतजार करती दिल्ली विधान सभा के बजट सत्र का इंतजार करती. आम आदमी पार्टी डरने वाली नहीं है.
बता दें कि इससे पहले सीएम केजरीवाल को 7 समन जारी कर चुकी हैं, लेकिन केजरीवाल अभी तक किसी भी नोटिस के जवाब में जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं. ऐसे में इन समन को छोड़ना उनके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि लगातार समन को छोड़ना ईडी की धारा 19 के तहत असहयोग के लिए अभियोग की जमीन मजबूत कर रहा है.
क्या है मामला
22 मार्च 2021 को मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में नई शराब नीति का ऐलान किया था. 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. नई नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई, जिसके बाद शराब पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई. इस नीति को लाने के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, नई नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दिया.