
Delhi Mayor Election: दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए एक बार फिर नई तारीख निर्धारित हो गई है. एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है, जिसमें 16 फरवरी को दिल्ली नगर निगम की बैठक बुलाने की मांग की गई थी. एमसीडी चुनाव के बाद चौथी बार बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें मेयर और डिप्टी मेयर समेत स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव होगा.
इससे पहले छह फरवरी को सदन में हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित हो गई थी और मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो सका था, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने एमसीडी से बातचीत के बाद 16 फरवरी को बैठक के आयोजन के लिए एलजी वीके सक्सेना को प्रस्ताव भेजा था. अब इस पर एलजी ने अपनी मुहर लगा दी है. बता दें कि दिल्ली MCD चुनाव के नतीजे पिछले साल 7 दिसंबर को आ गए थे. एमसीडी चुनाव में AAP ने 134 सीटें जीतीं और MCD में बीजेपी के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था. BJP को 104 सीटों पर जीत मिली थी.
6 जनवरी को बुलाई गई थी MCD की पहली बैठक
बता दें कि MCD ने पहली बार 6 जनवरी को सदन की बैठक बुलाई थी. उसके बाद दूसरी बैठक 24 जनवरी और महीनेभर के अंदर ही तीसरी बैठक 6 फरवरी को बुलाई गई. हालांकि, इन बैठकों में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के सदस्यों के हंगामा करने के चलते चुनाव नहीं हो सका और बैठक स्थगित कर दी गई. नियम के अनुसार, मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव निकाय चुनावों के बाद होने वाले पहले सदन में होता है. बहरहाल, नगर निकाय चुनाव हुए दो महीने हो चुके हैं और दिल्ली को अभी मेयर मिलना बाकी है.
सुप्रीम कोर्ट पहुंची आम आदमी पार्टी
इस बीच मेयर का चुनाव कराने के लिए आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें आप ने याचिका में पांच मांगें रखीं. आप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी, पीठासीन अधिकारी, निगम कमिश्नर और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दिया है. अब इस मामले में कोर्ट में 13 फरवरी को सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट में आप ने रखीं 5 मांगें-
1- सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी के पद से हटाया जाए.
2- एक हफ्ते के अंदर एमसीडी का सदन बुलाया जाए.
3- मेयर चुनाव पूरा होने तक कोई स्थगन न हो.
4- बाकी के चुनाव मेयर की अध्यक्षता में हों.
5- नामित पार्षदों को वोट देने का अधिकार न मिले.