
दिल्ली में मेयर का चुनाव 24 जनवरी को होगा. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. इससे पहले 6 जनवरी को दिल्ली मेयर चुनाव होना था. लेकिन आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षदों के हंगामे के चलते चुनाव नहीं हो सका था.
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली एमसीडी चुनाव में बहुमत हासिल किया है. पार्टी ने 250 में से 134 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि बीजेपी को 104 सीटों पर जीत हासिल मिली. आम आदमी पार्टी ने मेयर पद के लिए शैली ओबेरॉय को उतारा है. जबकि बीजेपी ने रेखा गुप्ता को. इसके अलावा बीजेपी ने डिप्टी मेयर पद के लिए कमल बागड़ी तो आप ने आले मोहम्मद इकबाल को उम्मीदवार बनाया था.
6 जनवरी को होना था चुनाव
दिल्ली में 6 जनवरी को मेयर पद के लिए चुनाव होना था. लेकिन सदन में मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने को लेकर जमकर हंगामा हुआ था. आप पार्षदों ने मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने का विरोध किया था. इसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ था. आप और बीजेपी पार्षदों के बीच हाथापाई और धक्का मुक्की भी हुई थी. यहां तक कि सदन में कुर्सियां भी चली थीं. कुछ पार्षद इस दौरान टेबल पर भी चढ़ गए थे. इसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया था. इससे पहले आम आदमी पार्टी ने एलजी द्वारा मेयर चुनाव के लिए बीजेपी की पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने पर आपत्ति जताई थी. उधर, कांग्रेस ने इस चुनाव में वोटिंग में हिस्सा न लेने का फैसला किया था .
रोचक होगा मुकाबला
दिल्ली में मेयर का चुनाव रोचक होने वाला है. आम आदमी पार्टी के पास एमसीडी के सदन में बहुमत है, ये जानते हुए भी बीजेपी ने अपना मेयर उम्मीदवार उतारा है. आम आदमी पार्टी नंबर गेम में बीजेपी से कहीं आगे है. विधानसभा में संख्याबल के आधार पर 14 में से 13 नामित विधायक AAP के हैं जो मेयर चुनाव में वोट डालेंगे. 10 सांसदों को भी वोटिंग अधिकार है जिसमें 7 बीजेपी के हैं तो 3 राज्यसभा सांसद आप के. इसलिए कुल जिन 274 चुने हुए नुमाइंदों को वोटिंग का अधिकार है उसमें 150 की संख्या आम आदमी पार्टी के पास है जबकि भारतीय जनता पार्टी के पास महज 113 वोट हैं.
बीजेपी ने मेयर चुनाव के लिए सानियर नेता रेखा गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है. जो कि तीसरी बार पार्षद बनी हैं. बीजेपी नंबर गेम में भले पीछे है लेकिन एमसीडी में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है और ना ही कोई व्हिप काम करता है. तो अगर जोड़ तोड़ हुई तो संभावनाएं असीमित हैं.