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Delhi MCD Election News 2022: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के एकीकरण मसले ने कई और बातों पर चर्चा को जन्म दे दिया है. दिल्ली बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक तीनों निगमों के एक होने से वित्तीय संकट भले दूर हो जाए लेकिन निगम को ताकतवर बनाने के लिए दिल्ली नगर निगम एक्ट (डीएमसी एक्ट) में बदलाव जरूरी है. लिहाजा 2014 में डीएमसी एक्ट के बदलाव के लिए सिफारिशों के ड्राफ्ट का हवाला दे रहे हैं. उसमें क्या थे प्रावधान और लागू करने से दिल्ली नगर निगम के काम-काज पर क्या असर पड़ेगा?
समय पर नहीं मिलती है सैलरी
2012 में निगम को यह सोचकर तीन भागों में बांटा गया कि लोगों के बीच सीधी पहुंच बनेगी. हुआ इसका ठीक उल्टा. पॉश इलाकों वाली साउथ एमसीडी रेवेन्यू पैदा करने में अव्वल रही बाकी नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी फिसड्डी साबित हुईं. कर्मचारियों की सैलरी लटकने लगी तो उसके बीच दिल्ली सरकार और बीजेपी की रार आड़े आ गई. दिल्ली के मेयरों ने 13 दिन तक धरना दिया कि एमसीडी के बकाया 13 हजार करोड़ रुपये दिल्ली सरकार रिलीज करे तो वहीं दिल्ली सरकार का आरोप है कि उसके दिए पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं.
ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकता मेयर
एकीकरण में मेयर को अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार देने और उनकी विभागीय रिपोर्ट लिखने का अधिकार देने की कोशिश हो सकती है. अभी ये अधिकार सीधे एमएचए को है. मेयर को परामर्श देने के लिए 1 दर्जन पार्षदों का ग्रुप बनाया जा सकता है.
पार्षदों को बढ़ाया जा सकता है वेतन भत्ता
दो सालों से कोविड महामारी और ऊपर से पैसे के कमी की वजह से कॉलोनियों में विकास के काम नहीं हो पाए. विधायकों को करोड़ों रुपये का फंड मिलता है जबकि पार्षद को मीटिंग के एक भत्ते के रूप में सिर्फ 300 रुपये मिलते हैं. एकीकरण में पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है. पार्षदों का वेतन भत्ता बढ़ाया जा सकता है.
एक साल का होता मेयर का कार्यकाल
अभी दिल्ली के अलग-अलग निगमों तीन मेयर होते हैं वो भी एक साल के लिए. जब तक अधिकारी और नेता आपसे में काम समझते हैं, तब तक मेयर का कार्यकाल पूरा हो जाता है. एकीकरण (Re-unification) में कार्यकाल 5 साल करने की सिफारिश की जा सकती है. निगमों में मेयर के लिए महिला और अनुसूचित जाति का पद आरक्षित हैं. अब ये सिफारिश हो सकती है कि दोनों के बाद किसी और पार्षद को मौका दिया जाए.
बदली जा सकती हैं वार्डों की संख्या
अभी दिल्ली एमसीडी में कुल 272 वॉर्ड हैं. इस बार यह फैसला किया जा सकता है कि वॉर्ड का परिसीमन आबादी के हिसाब से अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया जाए. इससे वॉर्डों की संख्या कम हो जाएगी. वॉर्ड संख्या कम होने के बाद नए सिरे से रोटेशन होगा. हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने कहा है कि वॉर्ड की संख्या 272 ही रहने पर एकीकरण के बाद भी रोटेशन नहीं होगा. देखना ये है कि संसद किन सिफारिशों को शामिल करती है और किसे नहीं.