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तीन बार टला चुनाव... दिल्ली को 15 फरवरी से पहले MCD मेयर नहीं मिला तो क्या होगा?

दिल्ली नगर निगम ने अब तक तीन कोशिशें कर ली लेकिन मेयर नहीं मिल सका है. 15 फरवरी तक दिल्ली नगर निगम को सभी टैक्स शेड्यूल प्रकाशित करना होगा और 15 फरवरी से पहले तक दिल्ली को उसका मेयर ना मिलने की स्थिति में अश्विनी कुमार ही बजट को पारित कर सकते हैं. निगम के अधिकारियों का कहना है कि बजट पारित करने पर बहुत जल्द विशेष अधिकारी कोई फैसला ले सकते हैं.

आप और बीजेपी कार्यकर्ता आज फिर सड़क पर उतरे आप और बीजेपी कार्यकर्ता आज फिर सड़क पर उतरे
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

राजधानी दिल्ली को उसका मेयर दिलाने के लिए दिल्ली नगर निगम ने अब तक तीन कोशिश कर ली, लेकिन असफल रहा .आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों ने एक दूसरे को इसका कसूरवार ठहराते हुए अब सदन का संग्राम सड़क पर ला दिया है. यानी अभी तक दोनों राजनीतिक पार्टियों की तरफ से मेयर चुनने के प्रयास का कोई सार्थक हल निकल कर सामने नहीं आ रहा. अलबत्ता दिल्ली नगर निगम को दिल्ली के विकास के प्रोजेक्ट के साथ ही दिल्ली का बजट भी पास करना है हर बार की तरह इस बार की स्थिति अलग है. हर साल निगम की अप्रैल महीने की पहली बैठक में महापौर का चुनाव होता है और महापौर का पद पहले साल महिला और तीसरे साल अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

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1 फरवरी को आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बिना पार्टी को बताए विशेष अधिकारी ने बजट पारित कर दिया. इसपर दिल्ली नगर निगम ने कहा था कि 6 जनवरी को महापौर चुना जाना है ऐसे में बजट को सदन से ही पारित किया जाएगा. हालांकि अब जब तीसरी बैठक भी स्थगित हो गई तब विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार बजट को पारित करने को लेकर जल्दी ही कोई फैसला ले सकते हैं.

15 फरवरी से पहले मेयर नही मिला तो क्या होगा?
निगम के एकीकरण के साथ ही निगम में अधिकारियों का शासन चल रहा है. विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार को सदन बनने तक महापौर की शक्तियां मिली हुई हैं. ऐसे में नियम के मुताबिक 15 फरवरी तक दिल्ली नगर निगम को सभी टैक्स शेड्यूल प्रकाशित करना होगा और 15 फरवरी से पहले तक दिल्ली को उसका मेयर ना मिलने की स्थिति में अश्विनी कुमार ही बजट को पारित कर सकते हैं. 

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निगम के अधिकारियों का कहना है कि बजट पारित करने पर बहुत जल्द विशेष अधिकारी कोई फैसला ले सकते हैं. 15 फरवरी से पहले फिर से महापौर चुनाव के लिए बैठक होना मुश्किल है, ऐसे में विशेष अधिकारी को ही यह बजट पारित करना होगा. दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि बहुत जल्दी इस मुद्दे पर कोई निर्णय लिया जा सकता है.

जो खुद नही चुना जा सका वो ये चुनाव संपन्न करवाता है 
साल 2023 से पहले उप महापौर, स्थाई समिति, शिक्षा समिति, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली जल बोर्ड दिल्ली, आश्रय सुधार, बोर्ड विशेष व तदर्थ समितियों के सदस्यों का चुनाव महापौर कराते रहे हैं. पर इस साल पीठासीन अधिकारी ने महापौर, उप महापौर और स्टैंडिग कमेटी के सदस्यों के एक साथ चुनाव कराने का फैसला लिया है. 

बजट पारित करने का आरोप लगा चुकी है आप
1 फरवरी को आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बिना पार्टी को बताएं विशेष अधिकारी ने बजट पारित कर दिया इसपर दिल्ली नगर निगम ने कहा था कि 6 जनवरी को महापौर चुना जाना है ऐसे में बजट को सदन से ही पारित किया जाएगा, हालांकि अब जब तीसरी बैठक भी स्थगित हो गई तब विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार बजट को पारित करने को लेकर जल्दी ही कोई फैसला ले सकते हैं. 

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पार्षदों को निलंबित करने की ताकत 
स्लम अनुदान व नामकरण समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं सदन में महापौर का फैसला निर्णायक होता है उसका आदेश अनसुना करने पर महापौर किसी भी पार्षद को सदन से बाहर निकाल सकता है या निलंबित कर सकता है सदन की बैठक में प्रस्तुत होने वाले विषयों का निर्धारण वर्ष का समय महापौर निश्चित करते हैं. सदन के सदन के अध्यक्ष के तौर पर मेयर यह तय करता है कि किस पार्षद की चर्चा किस वक्त सदन में रखी जाएगी दूसरी तरफ हंगामा करने की स्थिति में किसी भी पार्षद के निलंबित करने का अधिकार भी मेरे को ही होता है इतना ही नहीं वह सदन को स्थगित करने की शक्ति भी रखता है.  

दिल्ली नगर निगम के एक्ट के मुताबिक 10 दिसंबर से पहले स्थाई समिति की बैठक में कमिश्नर को बजट पेश करना होता है. निगम चुनाव नतीजों के बाद 8 दिसंबर को विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ने वित्त वर्ष 2022 23 का संशोधित बजट अनुमान वित्त वर्ष 2023 24 का बजट अनुमान पेश किया था. 15 फरवरी से पहले फिर से महापौर चुनाव के लिए बैठक होना मुश्किल है. ऐसे में विशेष अधिकारी को ही यह बजट पारित करना होगा. दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि बहुत जल्दी इस मुद्दे पर कोई निर्णय लिया जा सकता है.

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अगर मेयर चुन लिया जाता तो कैसी होती बजट की प्रक्रिया?  
कमिश्नर सबसे पहले स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष बजट प्रस्तुत करते हैं, जिसे सभी वार्ड समितियों के साथ विशेष और तदर्थ कमेटियों में चर्चा के लिए भेजा जाता है. स्थाई समिति में तो पक्ष और विपक्ष दोनों चर्चा करते हैं, उसके बाद स्थाई समिति का अध्यक्ष बजट के अंतिम रूप देकर सदन में भेज देता है. सदन में पार्षदों की चर्चा के बाद नेता सदन इस बजट को अंतिम रूप देते हैं. दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक हर हाल में 15 फरवरी तक एमसीडी को टैक्स की दरें सार्वजनिक करनी होती हैं. ऐसे में अनुमानित बजट प्रस्ताव की चर्चा सदन में होती है, उसके बाद ही बजट पास किया जाता है.

15000 करोड़ रुपए का पेश हुआ था बजट
दिल्ली नगर निगम का एक्ट यह कहता है कि 10 दिसंबर से पहले स्थाई समिति के अध्यक्ष के सामने बजट पेश करना जरूरी है. हर साल निगम के बजट की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू होती है, लेकिन जुलाई में निगम का एकीकरण हुआ. यही वजह है कि बजट इसी महीने में पेश किया गया. जुलाई में पेश बजट का अनुमान 15276 करोड़ रुपए मंजूर किया गया. आपको बता दें कि इसमें 4153 करोड़ स्वच्छता, 2632 करोड़ शिक्षा, 3225 करोड़ सामान्य प्रशासन, 1732 करोड़ लोक निर्माण और स्ट्रीट लाइटिंग, सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा के लिए 1570 करोड रुपए का बजट में प्रावधान किया गया था.

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