Advertisement

दिल्ली मेयर चुनावः आज नामांकन का आखिरी दिन, क्यों निर्दलीय पर दांव खेलने की तैयारी में BJP?

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर, डिप्टीमेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के नामांकन का आज आखिरी दिन है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है, लेकिन बीजेपी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी निर्दलीय पार्षद पर दांव लगा सकती है.

दिल्ली मेयर का चुनाव दिल्ली मेयर का चुनाव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर, डिप्टीमेयर और स्टैंडिंग कमेटी सदस्य पद के चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करने की मंगलवार को आखिरी तारीख है. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भर दिए हैं लेकिन बीजेपी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन पार्टी आम आदमी पार्टी को वॉकओवर देने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी मेयर पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी उतारने का दांव चल सकती है. 

Advertisement

प्रत्याशियों के बारे में बीजेपी ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है. हालांकि बीजेपी की ओर से यह बात जरूर कही गई है कि मेयर और डिप्टीमेयर का चुनाव लड़ेगी. ऐसे में बीजेपी किसी निर्दलीय पार्षद कैंडिडेट पर दांव खेल सकती है ताकि सामूहिक विपक्ष का समर्थन भी उसे मिल सके और लड़ाई भी कांटे की हो जाए. 

दरअसल, एमसीडी सदन में बीजेपी के पास जीत का जादुई आंकड़ा नहीं है. ऐसे में पार्टी ने एमसीडी में धुरंधर रहे अपने दो नेताओं को इसकी कमान सौंपी है, जिसमें एक विजेंद्र गुप्ता हैं और दूसरे सुभाष आर्य. एमसीडी सदन में जीत हासिल करने की रणनीति तय करने की जिम्मेदारी विधायक विजेंद्र गुप्ता और एकीकृत एमसीडी के अलावा दक्षिण दिल्ली नगर निगम में बड़े पदों पर रहे सुभाष आर्य को दी है. 

बीजेपी नेता सुभाष आर्य ने कह दिया है कि उनकी पार्टी महापौर व उपमहापौर के चुनाव के लिए पार्षदों का नामांकन पत्र हर हाल में दाखिल कराएगी. नामांकन दाखिल करने के लिए मंगलवार को आखिरी दिन है. हालांकि, एमसीडी के दोनों पदों पर बीजेपी ने पार्टी या फिर निर्दलीय पार्षदों को चुनाव लड़ाने के मामले पर पत्ते अभी नहीं खोले हैं. एमसीडी में आंकड़ा नहीं होने के कारण बीजेपी का एक खेमा मेयर और डिप्टी मेयर पद पर निर्दलीय पार्षदों को आगे करने की वकालत कर रहा है. 

Advertisement

बीजेपी का एक गुट चाहता है कि पार्टी मेयर का चुनाव अगर किसी निर्दलीय प्रत्याशी को लड़ाती है और उसे हार मिलती है तो बीजेपी की किरकिरी सीधे तौर पर नहीं होगी. तीन महीने के बाद जब दोबारा चुनाव होगा तो पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ना चाहिए. वहीं, पार्टी का एक दूसरा खेमा दोनों पदों पर अपने पार्षदों पर दांव लगाने पर जोर दे रहा है. इन नेताओं का सुझाव है कि ऐसे पार्षदों को उम्मीदवार बनाया जाए, जिसके कारण आम आदमी पार्टी में सेंध लग सके. 

दरअसल, बीजेपी के पास एमसीडी में इतने पार्षद नहीं है कि जिनके दम पर अपना मेयर और डिप्टीमेयर बना सके. निर्दलीय पार्षद को उतारने पर कांग्रेस का भी समर्थन जुटा सकती है जबकि बीजेपी के पार्षद होगा तो कांग्रेस साथ नहीं आएगी. इसके चलते भी बीजेपी अपने पार्षद को सीधे उतारने से कतरा रही है.  निर्दलीय पार्षद पर दांव लगाकर कांग्रेस का समर्थन अपने पक्ष में कर सकती है. 

बीजेपी पिछले 15 सालों तक एमसीडी में कब्जा जमाए हुई थी, लेकिन इस बार के नगर निगम के चुनाव में बीजेपी के महज 104 पार्षद ही जीत सके हैं जबकि आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद जीतकर आए हैं. इस चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 9 पार्षद हैं और 3 पार्षद निर्दलीय हैं. महापौर और उपमहापौर पदों पर जीतने वाले उम्मीदवारों के लिए वैध मतों में 50 फीसदी मत प्राप्त करना अनिवार्य होगा. पहले स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार को 50 फीसदी मत नहीं मिलने की स्थिति में दोबारा वोटिंग होगी.  

Advertisement

बीजेपी के पार्षद के आंकड़े को देखें तो साफ तौर पर समझा जा सकता है कि वह अकेले दम पर किसी भी सूरत में महापौर नहीं बना सकती है. ऐसे में निर्दलीय और कांग्रेस पार्षद का भी समर्थन जुटाना होगा और साथ ही आम आदमी पार्टी के अंदर भी सेंधमारी करनी होगी. इसके बाद ही बीजेपी अपना मेयर बना सकती है. वहीं,  AAP के पास मेयर बनाने के लिए बहुमत आंकड़ा पूरा है, लेकिन पार्षद अगर क्रॉस वोटिंग करते हैं तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी. इसके चलते क्रॉस वोटिंग की भी संभावना बनी हुई है. 

नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ईसापुर वार्ड से निर्दलीय पार्षद बनीं मीना देवी यादव को बीजेपी मेयर पद का प्रत्याशी बनाने का दांव चल सकती है. इसकी वजह यह है कि बीजेपी की नेता रही हैं, लेकिन पार्षद चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. ऐसे में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीती हैं, जिसके चलते बीजेपी को उन पर दांव खेल सकती है. कांग्रेस भी यह समझ रही है कि आम आदमी पार्टी के चलते उसका सियासी आधार बढ़ नहीं पा रहा है. ऐसे में आम आदमी पार्टी को सबक सिखाने के लिए निर्दलीय को साथ से सकती है. 
आम आदमी पार्टी को भी इसकी संभावना दिख रही है. इसीलिए आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा तो पहले ही कह चुके हैं कि बीजेपी निर्दलीय पार्षद को उतारकर चोर दरवाजे से एमसीडी पर काबिज होना चाहती है. चड्ढा ने कहा कि बीजेपी को चुनाव लड़ना है तो सामने आए, निर्दलीय उम्मीदवार को आगे नहीं करें. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने का अधिकार सबको है, अगर बीजेपी को चुनाव लड़ना था तो अपनी पार्टी को आगे रखकर चुनाव लड़ते, निर्दलीय के सहारे चुनाव क्यों लड़ रही है?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement