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AAP ने एमसीडी पर लगाया 7 लाख छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप, BJP ने बताया झूठ का पुलिंदा

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी ने कहा कि दिल्ली में एमसीडी के 1625 स्कूलों में लगभग सात लाख बच्चे पढ़ते हैं. इन 7 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में है क्योंकि पढ़ाई का स्तर खराब है.

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक (फाइल फोटोः ट्विटर) आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक (फाइल फोटोः ट्विटर)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:46 AM IST
  • दुर्गेश पाठक ने एमसीडी पर लगाए आरोप
  • प्रवीण शंकर कपूर बोले- बयान झूठ का पुलिंदा

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर करारा हमला बोला है. पाठक ने बीजेपी पर एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने वाले 7 लाख छात्रों का भविष्य खराब करने का आरोप लगाया है. मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पढ़ाई की स्थिति पहले ही खराब रही है, ऊपर से बीजेपी की एमसीडी बच्चों को किताबें मुहैया नहीं कर रही है.

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दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि बीजेपी पिछले 5 साल से किताबें मुहैया करने में महीनों का वक्त लेती रही है. उन्होंने किताबें खरीदने की प्रक्रिया को अगले 15 से 20 दिनों के अंदर पूरा करने की मांग करते हुए कहा कि बीजेपी पहले ही छात्रों के कई सत्र खराब कर चुकी है. अभी भी आपके पास मौका है कि बच्चों का भविष्य खराब न हो. दुर्गेश पाठक ने कहा कि कोरोना काल में हर वर्ग प्रभावित हुआ है लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है वह बच्चों की पढ़ाई है. बच्चों की पढ़ाई के लिए पिछले एक-डेढ़ साल से ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं. सरकारें कोशिश कर रही हैं कि किसी भी तरह से बच्चों का भविष्य न खराब हो.

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी ने कहा कि दिल्ली में एमसीडी के 1625 स्कूलों में लगभग सात लाख बच्चे पढ़ते हैं. इन 7 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में है क्योंकि पढ़ाई का स्तर खराब है. ऑनलाइन पढ़ाई होने के बावजूद स्थिति खराब हो गई है. उन्होंने बीजेपी पर बच्चों का भविष्य खराब करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिक दुर्भाग्य की स्थिति यह है कि इन बच्चों की जो किताब होती हैं, उन्हें वह किताबें अभी तक मुहैया नहीं कराई गई हैं. आमतौर पर यह किताबें बच्चों को अप्रैल में मिल जानी चाहिए थीं. पाठक ने कहा कि अप्रैल के पहले हफ्ते में कोरोना की गंभीर स्थिति थी इसलिए एमसीडी को दिक्कत हुई होगी लेकिन किताबें खरीदने की प्रक्रिया पहले से शुरू हो जानी चाहिए थी.

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उन्होंने कहा कि उसका टेंडर हो जाना चाहिए था. किताबें मंगवा लेनी चाहिए थीं और उनका वितरण अप्रैल में हो जाना चाहिए था लेकिन एमसीडी ने अभी तक खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं की है. वितरण होना तो बहुत दूर की बात है. दुर्गेश पाठक ने कहा कि पिछले साल भी हमने कई बार जनता के बीच यह मुद्दा उठाया था. साल 2020 के सत्र में 9 महीनों बाद बच्चों को किताबें मिली थीं. उन्होंने कहा कि 2019 में भी लगभग 8 महीने की देरी से किताबें मिलीं. खासकर नॉर्थ एमसीडी का तो बहुत बुरा हाल है. पिछले पांच साल से बच्चे स्कूल में हों या ऑनलाइन क्लास में हों, उनके पास किताबें नहीं होतीं. सबको पता है कि एमसीडी के स्कूलों में दिल्ली का सबसे गरीब वर्ग जाता है. ऐसा वर्ग जाता है जो दिहाड़ी के हिसाब से काम करता है जिसके कारण उनकी आमदनी कम से कम होती है. ऐसे बच्चों का भविष्य आज अंधकार में हैं.

दुर्गेश पाठक ने कहा कि बीजेपी के नेताओं तक यह मैसेज पहुंचाना चाहते हैं कि इस सत्र में यदि आप चाहें तो 15-20 दिनों के अंदर टेंडर भी दे सकते हैं. किताबें भी मंगवा सकते हैं और वितरण का काम भी शुरू कर सकते हैं. आपके लिए यह इतनी बड़ी बात नहीं है. दिल्ली में कोरोना के मामले अब कम आ रहे हैं तो धीरे-धीरे हर एजेंसी को अपने काम पर लौटना पड़ेगा. हर एजेंसी को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेताओं से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि यह सत्र मत बर्बाद होने दीजिए.

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बीजेपी ने आरोप को बताया झूठ का पुलिंदा

एएपी की ओर से लगाए गए आरोप पर दिल्ली बीजेपी ने भी पलटवार किया. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि नगर निगम के स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें नहीं बंट पाने की जिम्मेदारी एमसीडी पर डालने का दुर्गेश पाठक का ब्यान झूठ का पुलिंदा है. उनको मालूम होना चाहिए कि नगर निगम के सकूलों में जो पुस्तकें बांटी जाती हैं उनका टेंडर नगर निगम नहीं करते बल्कि वह पुस्तकें नगर निगमों को दिलवाना दिल्ली सरकार के दिल्ली ब्यूरो आफ टेक्स्ट बुक्स का काम है जिसने अभी तक पुस्तकें नहीं दी हैं.

कपूर ने कहा कि एमसीडी को पुस्तकों के लिए पैसा दिल्ली सरकार के सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से मिलता है और वह भी 46 दिन के विलंब से अभी पिछले हफ्ते ही मिला है. उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि दुर्गेश पाठक दिल्ली सरकार से पूछें कि उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान का पैसा 46 दिन की देरी से क्यों दिया और उन्हीं के दिल्ली ब्यूरो ऑफ टेक्स्ट बुक्स ने पुस्तकें समय पर क्यों नही दीं.

 

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