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दिल्ली में स्मॉग से निजात दिलाने को क्या कर रही है एमसीडी, जानिये...

दिल्ली में स्मॉग से परेशान लोग जहां सरकार से किसी ठोस कदम की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं दिल्ली के साउथ एमसीडी ने अपनी ओर से स्मॉग कम करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

दिल्ली में स्मॉग दिल्ली में स्मॉग
रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:30 PM IST

दिल्ली में जारी स्मॉग संकट से निपटने के लिए एमसीडी ने भी कमर कस ली है. नॉर्थ एमसीडी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्पेशन टास्क फोर्स बनाने की घोषणाकी है तो वहीं ईस्ट एमसीडी ने भी सफाई कर्मचारियों को बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए तैयार रहने को कहा है.

नॉर्थ एमसीडी ने हालिया स्थिति को देखते हुए टास्क फोर्स बनाने की घोषणा करते हुए कहा है कि ये टास्क फोर्स रात के वक्त उत्तरी दिल्ली की सड़कों पर घूमेगी और रात के वक्त कचरा या सूखे पत्ते जलाने वालों पर ना केवल नजर रखेगी, बल्कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. निगम के मुताबिक उसकी स्पेशल टास्क फोर्स प्रदूषण फैलाने वालों के चालान भी करेगी. 

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वहीं ईस्ट एमसीडी के कमिश्नर ने भी स्मॉग को देखते हुए बुधवार को सफाई कर्मचारियों के साथ बैठक की. बैठक में तय किया गया कि प्रदूषण को रेकने के लिए सफाई कर्मचारी भी अपना योगदान देंगे. बैठक में कमिश्नर ने सफाई कर्मचारियों को बताया कि एनजीटी के आदेशों के अनुसार सभी सफाई कर्मचारी सचेत रहें और साफ सफाई के अलावा इस बात को भी ध्यान रखें कि कोई उनके क्षेत्र में ठोस कूड़ा,कचरा एवं सूखी पत्तियों को जलाए नहीं क्योंकि उनके जलाए जाने से निकलने वाली गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और वातावरण को दुषित कर रही हैं.

भलस्वा लैंडफिल साइट के लिए बनाई कमेटी

उत्तरी दिल्ली की मेयर प्रीति अग्रवाल ने भलस्वा लैंडफिल साइट से हो रहे प्रदूषण पर भी चिंता जताई. उन्होंने बताया कि नॉर्थ एमसीडी ने आईआईटी विशेषज्ञों की एकसमिति बनाई है, जो भलस्वा लैंडफिल साइट का हल बताएगी. जल्द ही समिति की रिपोर्ट आने वाली है, जिसके आधार पर एमसीडी भलस्वा लैंडफिल साइट से कूड़े को हटाना शुरू कर देगी.

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आपको बता दें कि दिवाली पर प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया था, लेकिन उसके बावजूद दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या कम नहीं हो रही है. वहीं, दो दिनों से जिस तरह से दिल्ली गैस चैंबर में बदल चुकी है उसके बाद अब इस समस्या के ठोस उपाय की जरूरत साफ महसूस की जा रही है.

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