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Pollution: '5 स्टार होटल में AC में बैठकर किसानों को दोष देना आसान है', प्रदूषण के लिए पराली को जिम्मदार बताने पर SC

प्रदूषण के लिए पराली जलाने को जिम्मेदार बताने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों को सजा नहीं दे सकते. कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकारों को पराली के लिए प्रबंध करने चाहिए.

अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. (फाइल फोटो-PTI) अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. (फाइल फोटो-PTI)
अनीषा माथुर/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:42 PM IST
  • प्रदूषण के हालात पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
  • दिल्ली सरकार ने कहा, पराली बड़ा कारण
  • कोर्ट ने कहा, किसानों को दोष नहीं दे सकते

Delhi-NCR Pollution News: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस दौरान प्रदूषण के लिए पराली जलाने (Stubble Burning) को जिम्मेदार ठहराने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि 5 स्टार होटल में बैठकर किसानों को दोष देना बड़ा आसान है. कोर्ट ने ये टिप्पणी दिल्ली सरकार की उस दलील पर कही, जिसमें उसने प्रदूषण के लिए पराली जलाने को भी एक बड़ा कारण बताया था. 

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दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सब जानते हैं कि 2 महीनों में पराली जलाने की घटना पीक पर होती हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाना प्रदूषण का बड़ा कारण है. इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने कहा कि हम किसानों को सजा देना नहीं चाहते, हम चाहते हैं कि सरकार उनसे पराली न जलाने की अपील करे. 

दलील रखते हुए सिंघवी ने कहा कि ये हमारा कर्तव्य है कि हम आपको बताएं कि पराली जलाना भी दमघोंटू प्रदूषण का एक कारण है. इसके बाद कोर्ट ने कहा, 'आखिर किसान को पराली जलाना क्यों पड़ता है? 5 स्टार होटल के एसी कमरे में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है.'

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वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि इस सीजन में पराली जलाने की घटना बढ़ जाती है. मेहता ने दलील दी कि पराली जलाने जैसे कुछ कारक प्रदूषण में अक्टूबर के बाद ज्यादा योगदान करते हैं. पूरे साल ऐसा नहीं रहता. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार के एफिडेविट में प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 4-7% की बात कही गई है. ये आंकड़ा सालभर का औसत है. लेकिन इन दो महीनों में ये बढ़ जाता है. अभी ये लगभग 35 से 40% है. 

इसके बाद सीजेआई रमणा ने भड़कते हुए कहा, 'प्लीज आप लोग कॉमन सेंस यूज कीजिए. ये सीजन पराली जलाने का ही है. ये आंकड़े हमारे लिए जरूरी नहीं है. हमें इन सब बातों को नजरअंदाज करना चाहिए और मुख्य मसले पर फोकस करना चाहिए.'

एसजी तुषार मेहता ने टीवी डिबेट का हवाला देते हुए कहा कि इन पर दिखाए जाने वाले आंकड़े कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं. इसके बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि टीवी चैनलों में होने वाली डिबेट ज्यादा प्रदूषण फैला रहीं हैं.

कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकारों को पराली को लेकर कुछ प्रबंध करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यूपी, पंजाब और हरियाणा के लिए कुछ ही गांवों में पराली जलाई जाती है. इसके लिए किसानों को सजा देने की जरूरत नहीं है.  इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

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