
दिल्ली सरकार की शराब की नई आबकारी नीति 17 नवंबर 2021 को लागू हुई थी लेकिन नीति लागू होने के महज 4 महीने में शराब कारोबारियों ने कारोबार में हो रहे नुकसान के चलते लाइसेंस सरेंडर करने शुरू कर दिए. इससे सरकार को पॉलिसी लागू होने के साथ ही हर महीने करोड़ों रुपये नुकसान होना शुरू हो गया था.
इसके पीछे की वजह आज हम आपको बताएंगे. आज तक से खास बातचीत में शराब कारोबारियों ने अपनी परेशानियां बताई हैं.
क्या थे पॉलिसी में नये नियम
दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी के तहत दिल्ली को 32 जोन के अंदर डिवाइड किया गया था. जिनमें से 2 जोन एक नई दिल्ली और दूसरा एयरपोर्ट जोन था .बाकी की 30 जोन में दिल्ली के 272 वार्ड को डिवाइड किया गया था. जिसमें हर वार्ड में तीन शराब की दुकानें खोली जानी थी. इन बोर्ड में दरसल वह इलाके भी शामिल थे जो non-conforming एरिया थे. जहां कारोबारी 17 नवंबर 2021 तक अपनी दुकान नहीं खोल पाए.
दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी के तहत पूर्वी दिल्ली इलाके में पॉपुलर ब्रांड के नाम से 1 zone चलाने वाले कारोबारी ने अपना नाम छिपाते हुए हमें बताया कि नई पॉलिसी के तहत उनकी 27 दुकान खुलनी थीं. लेकिन वो 21 दुकाने ही खोल सके. मतलब 6 दुकानें नहीं खुल पाई. इसके कारण कारोबारियों का करोड़ों का नुकसान तो हुआ ही साथ ही दुकानें ना खुलने के कारण सरकार की लगभग 40 से 48 करोड़ का नुकसान हुआ.
लाइसेंस देने में असमर्थ रही सरकार
Path2way के नाम से दिल्ली में 2 जोन चलाने वाले कारोबारी ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब पॉलिसी बनाई गई थी. तब क्या सरकार को पता नहीं था कि नॉनकन्फॉर्मिंग जोन में शराब की दुकानें नहीं खुल सकती हैं. ठेकेदारों को धोखे में रखा गया.
इसके बाद तमाम कारोबारी कोर्ट गए और कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और आदेश दिया कि अगर इन दुकानदारों की दुकान नहीं खुली तो आप इन से लाइसेंस फीस नहीं लेंगे. यहां कारोबारियों को कोर्ट से राहत मिली.
कब और कितने कारोबारियों ने किया सरेंडर
पॉलिसी लागू होने के महज 4 महीने बाद 4 zone के कारोबारी पूरे जोन सरेंडर करके चले गए. यानी 4 महीने में दिल्ली में शराब की 80 दुकानें बंद हो गई.
Zones surrendered on March 31st*
Zone - 24 Trident
Zone - 25 Pathway
Zone - 26 Sri Avantika
Zone - 08 Adharv
जिसके बाद 31 मई को 5 zone कारोबारियों ने घाटे के चलते अपने जॉन सरेंडर करें. इससे 100 दुकाने बन्द हुईं.
Zones surrendered on May 31st*
Zone - 01 Bhagwati
Zone - 03 Khao Gali
Zone - 23 Magunta
Zone - 20 Glow
Zone - 29 Universal
फिर जुलाई आते-आते लगभग 10 जोन कारोबारी जोन छोड़ करके चले गए. यानी जुलाई के महीने में और 200 दुकानदारो ने दुकानों को बन्द कर दिया.
Zones surrendered on July 15th to July 31st
Zone - 30 Papular Sprits
Zone - 02 Khao Gali
Zone - 04 Magunta
Zone - 11 Nova
Zone - 15 Nova
Zone - 12 Pathway
Zone - 18 Sri Avantika
Zone - 19 Universal
Zone - 21 Trident
Zone - 31 Organomix EcoSystem
सरकार की पॉलिसी में खामी के चलते 849 में से 250 दुकाने पॉलिसी लागू होने वाले दिन से ही नहीं खुल सकी थीं. कारोबारी कोर्ट गए. कोर्ट में सरकार ने गलती मानी. इसके बाद सरकार को 100 दुकानों को छूट देनी पड़ी. इससे सरकर को हर महीने 100 करोड़ का नुकसान हुआ.
अधिकारी फाइल बढ़ने के लिए नहीं थे तैयार
Zone 8 adhrav नाम से चलाने वाले एक कारोबारी ने बताया कि नोंकोम्फार्मिंग होने के बावजूद उनका zone लिस्ट में नहीं था. जिसके बाद वह हाई कोर्ट गए. कोर्ट ने सरकार को इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेने को कहा. लेकिन अधिकारी फाइल आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं हुए और फीस मांगते रहे. जिसके बाद उन्होंने भी zone सरेंडर कर दिए.
एयरपोर्ट zone क्यों है सवालों के घेरे में
दिल्ली एयरपोर्ट जोन को 30 करोड़ की सिक्योरिटी राशि वापस करने पर भी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. दरसल उसके पीछे वजह क्या है. इसको समझना होगा. कारोबारी ने बताया कि दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम, 2010 का नियम 48 (11) (ख) में स्पष्ट है कि टेंडर स्वीकृति की तारीख से सात दिनों के भीतर लाईसेंसी सभी आवश्यक औपचारिकताओं पूरा करेगा और यदि लाईसेंसी ऐसा नहीं करता है, लाईसेंसी द्वारा की गई सभी जमाराशियां सरकार के पास जब्त हो जाएंगी और जबकि लाइसेंस फिर से किसी अन्य को दिया जा सकता है. इस सूरत में पूर्व लाईसेंसी किसी भी मुआवजे का हकदार नहीं होगा. यह नियम सरकार की पॉलिसी में है.
दिल्ली एयरपोर्ट जोन से सरकारी राजस्व लगभग 20 करोड़ रुपये प्रति माह 17 नवंबर से मिलना चाहिए था. लेकिन अमित अरोड़ा की BUDDY (T-ID) RETAIL PRIVATE LIMITED ने मार्च 2022 से यह देना शुरू किया. इन सब विवाद के चलते सरकार को सरकारी राजस्व में तकरीबन कुल 68 करोड रुपए का नुकसान हुआ.
इसके अतिरिक्त अमित अरोड़ा द्वारा संचालित कंपनी ने दिल्ली एयरपोर्ट जोन की पूरी फीस न जमा करवाकर, मात्र सात दुकानों की ही लाइसेंस फीस जमा करवाई इसके बावजूद सरकार द्वारा जुलाई 2022 सभी नियमों की पूर्ण अनदेखी कर एयरपोर्ट जोन को रद्द न करना भी सवाल खड़े करता है. इस कारण सरकार के तकरीबन 70 करोड रुपए वार्षिक से अधिक सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ.
144 करोड़ की छूट का क्या है मसला
नई आबकारी नीति में COVID के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के रूप में शराब ठेकेदारों को 144.36 करोड़ों पर की छूट विवादों के घेरे में है. दरसल इस संदर्भ में मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर सीबीआई एफआईआर दर्ज कर जांच कर रही है. परंतु आम आदमी पार्टी का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं हुआ है, यह सब पूरे नियमों के आधार पर किया गया है.
लेकिन आज तक के पास टेंडर शुरू होने से पहले प्री बिड का वो डॉक्यूमेंट है जिसमें व्यापारियों द्वारा सरकार से पूछा गया कि टेंडर से पूर्व COVID के दौरान दुकानें बंद हो जाती हैं, तो लाइसेंस फीस में छूट के बारे पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते समय विभाग ने लिखित रूप में स्पष्ट किया है अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, सरकार बाद में उचित आदेश जारी कर सकती है. यही कारण है कि 144.36 करोड़ छूट देना सवाल खड़े करता है. कहा जा रहा है कि अगर सरकार इस छूट देने वाली बात को पहले ही ओपन कर देती तो व्यापारी बढ़ाकर की टेंडर उठाते लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.