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Yasin Malik: यासीन मलिक के गुनाहों का हुआ हिसाब, आखिरी सांस तक सलाखों के पीछे रहेगा

दिल्ली की NIA कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुना दी है. NIA ने यासीन मलिक को सजा ए मौत देने की मांग की थी.

यासीन मलिक यासीन मलिक
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2022,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST
  • यासीन मलिक की सजा का एलान
  • दिल्ली की NIA कोर्ट ने सुनाई सजा

प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के केस में सजा का एलान हो चुका है. दिल्ली की NIA कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुना दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. बता दें कि NIA ने यासीन मलिक को सजा ए मौत देने की मांग की थी. गुरुवार को कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में यासीन को दोषी ठहराया था. यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल कर लिया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था.

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यासीन को 9 मामलों में मिली है सजा 

यासीन मलिक को NIA कोर्ट ने कुल नौ मामलों में सजा सुनाई है. साथ ही अलग-अलग धाराओं में जुर्माना भी लगाया गया है. इनमें 120B में 10 साल की सज़ा और 10 हज़ार जुर्माना, 121 में उम्रकैद की सज़ा और 10 हज़ार जुर्माना, 121A में 10 साल की सज़ा 10 हज़ार जुर्माना, UAPA की धारा 13 में 5 साल और 5 हज़ार जुर्माना, UAPA की धारा 15 में 10 साल की सज़ा और 10 हज़ार जुर्माना, UAPA की धारा 17 में उम्रकैद सज़ा और 10 लाख का जुर्माना, UAPA की धारा 18 में 10 साल 10 हज़ार  जुर्माना, UAPA की धारा 38 और 39 में 5 साल की सज़ा और 5 हज़ार का जुर्माना लगाया गया है.

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किन धाराओं में कब दर्ज होता है केस?

बता दें कि UAPA में धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत केस दर्ज होता है. धारा 38 तब लगती है जब आरोपी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पता चलती है. धारा 39 आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर लगाई जाती है. गैरकानूनी संगठनों, आतंकवादी गैंग और संगठनों की सदस्यता को लेकर इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है. सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन का सदस्य पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. इसके अलावा धारा 121 A राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध का प्रयास पर लगती है, जिसमें भी उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है.

तिहाड़ जेल प्रशासन ने ली महत्वपूर्ण बैठक 

यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के बाद तिहाड जेल प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण बैठक की. इसमें तिहाड प्रशासन के मुखिया ने यासीन मलिक की सुरक्षा को लेकर सख्त निर्देश दिए और उसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखा जाएगा. यासीन को फिलहाल जेल नंबर 7 के एक वार्ड में अकेला रखा जा रहा है. यह एक हाई सिक्योरिटी बैरक है. अब उम्र कैद की सजा होने के बाद उस पर CCTV से पैनी नजर रखी जाएगी. हालांकि उसका जेल या वार्ड शिफ्ट किया जाएगा या नहीं फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. 

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कोर्ट के बाहर सुरक्षा व्यस्था कड़ी

टेरर फंडिंग के दोषी यासीन मलिक को दिल्ली की पटियाला कोर्ट लाया गया था. कोर्ट में सजा पर बहस होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. सजा सुनाने से पहले पटियाला कोर्ट परिसर की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया. कोर्ट रूम के बाहर CAPF, स्पेशल सेल के जवानों की तैनाती की गई है.  

कश्मीर में समर्थक-पुलिस की झड़प

कोर्ट द्वारा सजा सुनाने से पहले अदालत के बाहर कई लोग तिरंगा लेकर पहुंच गए थे. इसके अलावा श्रीनगर के पास मैसुमा में यासीन मलिक के घर के पास उसके समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प होने की खबर आई है. यहां पत्थरबाजी के बाद हालात काबू में करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. श्रीनगर के पास मैसुमा में यासीन मलिक का घर है. मलिक के घर के आसपास सुरक्षाबल के जवानों को तैनात किया गया है. ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है. 

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यासीन ने नहीं दी थी चुनौती 

यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता.

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कोर्ट ने ठहराया दोषी 

कोर्ट ने माना है कि मलिक ने 'आजादी' के नाम जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था. NIA ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था. इस मामले में एक दर्जन के अधिक लोगों के खिलाफ 18 जनवरी 2018 को चार्जशीट फाइल की गई थी.

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोर्ट में कहा था, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करके घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया. 

 

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