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दिल्ली एमसीडी के इतिहास में पहली बार हुआ ये चुनाव

सफाई कर्मचारियों के यूनियन चुनाव होने से अब ये साफ हो गया है कि कौन सफाई कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करेगा. शाहदरा नॉर्थ ज़ोन में दिल्ली प्रदेश सफाई मज़दूर यूनियन ने जीत दर्ज की तो वहीं शाहदरा साउथ ज़ोन में एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन ने जीत हासिल की है.

सफाई यूनियन का चुनाव सफाई यूनियन का चुनाव
रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 3:25 AM IST

दिल्ली में एमसीडी के इतिहास में पहली बार सफाई कर्मचारियों की यूनियन के लिए चुनाव हुए. ये चुनाव ईस्ट एमसीडी के दोनों शाहदरा नॉर्थ और शाहदरा साउथ ज़ोन में हुए जिसमें दो अलग-अलग यूनियन ने जीत हासिल की है.

सफाई कर्मचारियों के यूनियन चुनाव होने से अब ये साफ हो गया है कि कौन सफाई कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करेगा. शाहदरा नॉर्थ ज़ोन में दिल्ली प्रदेश सफाई मज़दूर यूनियन ने जीत दर्ज की तो वहीं शाहदरा साउथ ज़ोन में एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन ने जीत हासिल की है. इन दोनों यूनियनों का कार्यकाल अगले 5 सालों का होगा. चुनाव जीतने के बाद दोनों यूनियनों ने रैली निकालकर जीत का जश्न मनाया. हालांकि नतीजे से सफाई कर्मचारियों की दूसरी यूनियन नाराज़ दिखीं. उन्होंने वोटिंग के वक्त धांधली का आरोप लगाया. वहीं सफाई कर्मचारियों की यूनियन के एक धड़े में इस बात को लेकर भी चिंता है कि कहीं दिल्ली की बाकी दो एमसीडी भी ईस्ट एमसीडी की ही तरह उनका चुनाव ना करवा दे.

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ये रही चुनाव की वजह

सफाई कर्मचारियों की बार-बार हड़ताल से परेशान ईस्ट एमसीडी ने सफाई कर्मियों की यूनियनों के पर कतरने की तैयारी पहले ही कर ली थी. अब चुनाव करवाने के बाद केवल मान्यता प्राप्त यूनियन ही निगम के काम में हस्तक्षेप कर सकेगी. आपको बता दें कि कभी सैलरी को लेकर तो कभी किसी अन्य मांग को लेकर सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं और इनके पीछे सबसे बड़ा हाथ सफाईकर्मियों की यूनियन का होता है, जिनके नेता सफाईकर्मियों को इकट्ठा कर निगम से उनकी मांगों को मनवाते आए हैं. लेकिन बार-बार की हड़ताल से अब निगम भी परेशान हो चुका है. इसलिए उसने यूनियन का चुनाव करवाने का फैसला किया था. ईस्ट एमसीडी के मुताबिक अभी एमसीडी में कुल 28 यूनियन हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर को निगम ने मान्यता नहीं दी है और हड़ताल के दौरान कई यूनियनें हड़ताल पर तो चली जाती हैं लेकिन समाधान के लिए बात करते वक्त यह तय नहीं हो पाता कि किस यूनियन से बात की जाए. ऐसे में यह कदम उठाया गया है.

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