
दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अधिकार को लेकर उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार में ठनी हुई है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. वहीं अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कहा है कि इस मामले को 5 जजों से बड़ी बेंच को भेजा जाए. वहीं दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की इस अर्जी का विरोध किया है.
वहीं देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 8 दिसंबर को सुनवाई नहीं कर पाएगी क्योंकि पीठ में शामिल जस्टिस कृष्ण मुरारी बीमार हैं. इस मामले में अब सुनवाई की अगली तारीख अगले साल के दूसरे हफ्ते में तय की गई है.
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अधिकार पर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट अब 10 जनवरी को सुनवाई करेगा. पहले पांच जजों की संविधान पीठ को 8 दिसंबर को सुनवाई करनी थी, लेकिन अब दूसरी पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी.
2 जजों की बेंच ने दिया था बंटा फैसला
साल 2019 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने बंटा हुआ फैसला दिया था. इस मामले पर जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सुनवाई की थी. जस्टिस सीकरी ने कहा था कि राजधानी में सभी एक्जीक्यूटिव अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही रहेंगे. जस्टिस अशोक भूषण ने भी कुछ मुद्दों पर जस्टिस सीकरी के साथ सहमति जताई, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद ही रहा, इसलिए इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया था.
ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार फिलहाल LG के पास
केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में संशोधन के बाद से अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल के पास है. पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि ये मामला दिल्ली अधिनियम से हुए संशोधन से भी जुड़ा है.
क्या कहना है दिल्ली सरकार का?
वहीं इस मामले में दिल्ली सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में केंद्र सरकार के पास सिर्फ जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था के अधिकार मिले हैं. इसलिए वह इन्हीं से संबंधित अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकती है. हालांकि केंद्र सरकार ने एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट में 2021 में संशोधन किया था जिसके तहत उपराज्यपाल को कई और अधिकार दे दिए गए थे. इसे भी दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.